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________________ 3. मन को परमात्मा के रूप या किसी दृश्य या किसी शब्द (मंत्र) या शब्द - समूह या स्वयं की श्वाँस पर लगाकर केन्द्रित करना। 4. ध्यान करते हुए मन भटक जाये तो स्वयं को नहीं धिक्कारना या खेद नहीं करना किन्तु जब भी लगे कि मन भटक गया है तब वापस अपने चुने हुए मंत्र पर मन को ले आना। 5. उचित शान्त वातावरण व आसन (रीढ़ की हड्डी टेड़ी न हो, पेट ज्यादा भारी न हो)। सोने के ठीक पहले लम्बा ध्यान न हो अन्यथा ताजगी आने से निद्रा देरी से आयेगी। आधुनिक डाक्टर भी प्रतिदिन ध्यान करने का सुझाव देते हैं। यह बात इस आधार पर भी कही जा सकती है कि अमेरिका के डाक्टरों की सर्वमान्य संस्था - अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा लिखित 832 पृष्ठों की पुस्तक - "फैमिली मेडिकल गाइड'20 के पृष्ठ 20 पर एक सामान्य व्यक्ति को प्रतिदिन ध्यान करने की सलाह दी है। ध्यान करने की विधि जो उस पुस्तक में प्रकाशित है उसका हिन्दी अनुवाद निम्नानुसार है - 'ध्यान करने की कई विधियाँ हैं किन्तु सभी का एकमात्र लक्ष्य है दिमाग की घबराहट एवं चिन्ताजनक विचारों से शून्य करके शान्त अवस्था प्राप्त करना।' 'कई संस्थाएँ एवं समूह ध्यान करना सिखाते हैं किन्तु यह आवश्यक नहीं है कि आप वहाँ जाकर ध्यान करना सीखें। अधिकांश व्यक्ति अपने आप ही ध्यान करना सीख सकते हैं। निम्नांकित सरल विधि को आप अपना सकते हैं - 1. एक शान्त कमरे में आराम से आँख बन्द कर कुर्सी पर ऐसे बैठो कि पाँव जमीन पर रहें व कमर सीधी रहे। 2. कोई शब्द या मुहावरा ऐसा चुनो जिससे आपको भावनात्मक प्रेम या घृणा न हो (जैसे OAK या BRING)। आप अपने होंठ हिलाये बिना मन ही मन इस शब्द का उच्चारण बार - बार दुहराओ। शब्द पर ही पूरा ध्यान दो, शब्द के अर्थ पर ध्यान नहीं देना है। इस प्रक्रिया को करते हुए यदि कोई विचार या दृश्य दिमाग में आये तो सक्रिय होकर उसे भगाने का प्रयास मत करो एवं उस दृश्य या विचार पर अपना ध्यान केन्द्रित करने का प्रयास मत करो; किन्तु बिना होंठ हिलाये आप मन ही मन जो शब्द बोल रहे हो उसकी ध्वनि पर ही अपना ध्यान केन्द्रित करो। इस प्रक्रिया को प्रतिदिन दो बार 5-5 मिनिट एक सप्ताह के लिये या जब तक कि दिमाग को अधिक समय के लिये विचार - शून्य करने के लिये प्रवीण न हो जाओ तब तक करो। तत्पश्चात ध्यान की अवधि धीरे-धीरे बढाओ। शीघ्र ही देखेंगे कि आप 20-20 मिनिट के लिये ध्यान करने में समर्थ हो गये हैं। कुछ व्यक्तियों को शब्द के बदले किसी चित्र या मोमबत्ती आदि वस्तु का आश्रय लेना सरल लगता है। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इस प्रकार के किसी भी शान्त ध्यान से दिमाग को विचारों एवं चिन्ताओं से रिक्त करना।' ___ भाग 1 में वर्णित ध्यान का विवेचन एवं उक्त अमेरिकन मेडिकल एशोसिएशन की व पूर्ववर्णित ध्यान की विशेषताओं को समझने के बाद एक व्यक्ति ध्यान का शुभारम्भ अपने जीवन में कर सकता है। सावधानी यह रखना है कि प्रारम्भ में यह लगभग 5 मिनिट के लिये हो व धीरे - धीरे समय 20 - 30 मिनिट तक बढ़ाया जाये। मानसिक रोगियों को मार्गदर्शक की सहायता व प्रामाणिक व्यक्ति की अनुमति के बिना ध्यान नहीं करना 70 अर्हत् वचेन, अक्टूबर 2000
SR No.526548
Book TitleArhat Vachan 2000 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2000
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size6 MB
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