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________________ तीर्थंकर ऋषभदेव जैन विद्वत् महासंघ की कार्यकारिणी की प्रथम बैठक सम्पन्न दिनांक 5 फरवरी 2000 को तीर्थंकर ऋषभदेव जैन विद्वत् महासंघ की नवगठित कार्यकारिणी की प्रथम बैठक लालकिला मैदान, दिल्ली के पैवेलियन क्रमांक 5 में भगवान ऋषभदेव अन्तर्राष्ट्रीय निर्वाण महामहोत्सव के पावन अवसर पर सम्पन्न हुई जिसमें निम्न विद्वान उपस्थित थेअध्यक्ष - पं. शिवचरणलाल जैन, मैनपुरी, उपाध्यक्ष - प्रो. नलिन के. शास्त्री, बोधगया, महामंत्री - डॉ. अनुपम जैन, इन्दौर, प्रचारमंत्री - डॉ. अभयप्रकाश जैन, ग्वालियर, सहमंत्री - कु. सारिका जैन (संघस्थ), कार्यकारिणी सदस्य - डॉ. (कु.) मालती जैन, मैनपुरी, पं. उत्तमचन्द जैन 'राकेश', ललितपुर, श्री संजीव सराफ, सागर तथा विशेष निमंत्रित महासंघ के सदस्य श्री हृदयराज जैन, दिल्ली, पं.. जयसेन जैन, इन्दौर, श्री रमेश कासलीवाल, इन्दौर, डॉ. देवेन्द्र जैन, भोपाल. डॉ. (श्रीमती) विमला जैन. फिरोजाबाद पं शीतलचन्द जैन, सागर, श्री प्रकाशचन्द जैन, फिरोजाबाद, श्री अरविन्दकुमार जैन, इन्दौर एवं डॉ. रमा जैन, छतरपुर। __बैठक का शुभारम्भ पं. उत्तमचन्द जैन 'राकेश', ललितपुर के मंगलाचरण से हुआ। सर्वप्रथम महामंत्री डा. अनुपम जैन, इन्दौर ने गत बैठक की कार्यवाही का वाचन किया एवं सर्वानुमति से बैठक की कार्यवाही की पुष्टि की गई। _ वर्ष 2000 में महासंघ की गतिविधियों के निर्धारण के क्रम में यह तय किया गया कि जैन धर्म की प्राचीनता तथा भगवान ऋषभदेव विषयक साहित्यिक, ऐतिहासिक संदर्भो को प्रामाणिक रूप में एकत्रित करने का कार्य डॉ. अनुपम जैन को दिया जाये। महासंघ के अन्य सदस्य अपने-अपने स्रोतों से सामग्री एवं ग्रन्थों को उपलब्ध करायेंगे जिससे भगवान ऋषभदेव पर एक प्रामाणिक ग्रन्थ तैयार किये जा सके। कार्यकारिणी के निर्वाचन हेतु आयोजित महासंघ की साधारण सभा की बैठक (दिल्ली - 24.10.99) में लिये गये निर्णय एवं प्रदत्त शक्तियों के अधीन अध्यक्ष महोदय ने कार्यकारिणी के 4 रिक्त पदों पर डॉ. मालती जैन - मैनपुरी, डा. सुशील जैन - मैनपुरी, पं. खेमचन्द जैन - जबलपुर तथा श्री संजीव सराफ- सागर को मनोनीत किया। इस प्रकार कार्यकारिणी का गठन पूर्ण हुआ। अध्यक्ष महोदय द्वारा 24.10,99 को दिल्ली में सम्पन्न विद्वत् महासंघ की बैठक का दृश्य किये गये मनोनयन की __कार्यकारिणी ने पुष्टि की। प्राप्त सदस्यता आवेदनों पर स्थाई समिति के अध्यक्ष डा. नलिन के. शास्त्री की अनुशंसा सहित विचार कर सदस्यताएँ स्वीकृत की गईं। आगामी बैठक तक प्राप्त आवेदनों पर गुण - दोषों के आधार पर निर्णय करने हेतु महामंत्री को अधिकृत किया गया। जैन विद्या के अध्येताओं, पत्र-पत्रिकाओं, शोध संस्थानों, पुस्तक विक्रेताओं / प्रकाशकों की डायरेक्टरी का 'सम्पर्क' नाम से प्रकाशन कर इसका विमोचन श्री अनिलकुमार जैन अर्हत् वचन, अप्रैल 2000
SR No.526546
Book TitleArhat Vachan 2000 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2000
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size6 MB
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