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________________ 'कागजी' के करकमलों से कराकर सभी सदस्यों एवं विशिष्ट महानुभावों को प्रति वितरित की गई। सम्पर्क का मूल्य रु. 50/- निर्धारित किया गया। DEEDO 5 फरवरी 2000 को दिल्ली में सम्पन्न नवगठित कार्यकारिणी की प्रथम बैठक अध्यक्ष की अनुमति से विभिन्न सदस्यों ने निम्न सुझाव दिये - 1. इंजी. श्री धर्मवीर जैन, लखनऊ ने सुझाव दिया कि शाकाहार का प्रचार मांसाहारी समाज में करना चाहिये तथा B.w.c. पूना जैसी संस्थाओं की सदस्यता लेकर उसे परोक्ष सहयोग देना चाहिये। हमें अपने तीर्थंकरों के चित्र नहीं छापना चाहिये। 2. पाठ्य पुस्तकों में प्रचलित भ्रांतियों के निवारण के सन्दर्भ में डा. नलिन के. शास्त्री, बोधगया ने कहा कि डॉ. रामशरण शर्मा द्वारा लिखित 'प्राचीन भारत' पुस्तक में संशोधन थोड़ा जटिल कार्य राजनैतिक प्रभाव काननी लडाई तथा तथ्यों का संकलन एवं प्रतिष्ठित विद्वानों के मंतव्यों को प्राप्त करना आवश्यक होगा। डॉ. शास्त्री ने इस पर विस्तार से प्रकाश डाला। 3. पं. उत्तमचन्द जैन 'राकेश', ललितपुर ने धार्मिक शिक्षण शिविर आयोजित करने तथा जैन विद्यालयों में नैतिक शिक्षा एवं भगवान ऋषभदेव के जीवन को अनिवार्य रूप से पढाने पर जोर दिया। 4. अन्य अनेक सुझावों का समाहार करते हुए अध्यक्ष महोदय ने कहा कि - ___हमें महासंघ की गतिविधियों को शास्त्री परिषद एवं विद्वत् परिषद की गतिविधियों से थोड़ा भिन्न रखते हुए पूरक रूप में चलना है। ऋषभदेव के बारे में प्रामाणिक जानकारी संकलित करने हेतु एक उच्च स्तरीय संगोष्ठी आयोजित की जाना चाहिये। महामंत्री ने सूचित किया कि विद्वत् परिषद के दोनों गुटों तथा शास्त्री परिषद के अध्यक्ष और महामंत्री को पदेन कार्यकारिणी की आगामी बैठकों में विशेष आमंत्रित के रूप में सादर आमंत्रित किया जाना चाहिये। धन्यवाद ज्ञापन से सभा विसर्जित हुई। - डॉ. अनुपम जैन, महामंत्री अर्हत् वचन, अप्रैल 2000 86
SR No.526546
Book TitleArhat Vachan 2000 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2000
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size6 MB
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