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________________ प्राच्य विद्या सम्मेलन चेन्नई (मद्रास) में अ.भा. प्राच्य विद्या सम्मेलन का 40 वाँ अधिवेशन 28, 29, 30 मई 2000 का मीनाक्षी कॉलेज, अरकोट रोड कोडमबक्कम, चेन्नई (मद्रास) में आयोजित हो रहा है। इस सम्मेलन में देश - विदेश के लगभग 1500 सौ विद्वान सम्मिलित होंगे। इस अधिवेशन के प्राकृत एवं जैन धर्म खण्ड के अध्यक्ष प्रोफेसर डा. प्रेमसुमन जैन, सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर चुने गये। प्राकृत एवं जैनधर्म विभाग में प्रस्तुत किये जाने वाले शोध आलेखों का प्रमुख विषय "जैन विद्या अध्ययन के 100 वर्ष' रखा गया है। जो भी विद्वान इस सम्मेलन में सम्मिलित होना चाहते हैं वे अ.भा. प्राच्य विद्या सम्मेलन, भण्डारकर ओरियन्टल रिसर्च इन्स्टटीयूट पूना - 411 004 से सदस्यता फार्म मंगाकर उसे वापिस वहां भेज दे। प्राकृत एवं जैन धर्म खण्ड में सम्मिलित होने वाले विद्वानों से अनुरोध है कि वे अपने शोध आलेख का विषय "जैन विद्या अध्ययन के 100 वर्ष" से सम्बन्धित रखें और अपने आलेख की एक टंकित प्रति प्रोफेसर प्रेम सुमन जैन 29 विद्याविहार कॉलोनी, उत्तरी सुन्दरवास, उदयपुर - 313 001 को अवश्य भिजवा दें। इस अधिवेशन में प्रो. हीरालाल जैन (जबलपुर) के योगदान सम्बन्धी आलेखों का भी एक सत्र आयोजित होगा। चयनित स्तरीय शोध आलेखों के प्रकाशन की, और उनके लेखकों को समुचित मानदेय प्रदान करने की भी व्यवस्था की जा रही है। .डा. अशोक कुमार जैन जैन विश्व भारती संस्थान, लाडनूं (राजस्थान) श्री सुरेन्द्र जैन को “पउमचरियं" पर पी.एच.डी. की उपाधि जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर ने संस्कृत विभाग के शोध छात्र न्द्र कुमार जैन को "आचार्य विमलसूरिकृत पउमचरियं : साहित्यिक एवं सांस्कृतिक अध्ययन' विषय पर उत्कृष्ट शोध कार्य हेतु पी.एच.डी. की उपाधि से सम्मानित किया है। यह शोध कार्य उन्होंने विदुषी डॉ. (श्रीमती) लक्ष्मी शुक्ला के कुशल निर्देशन में सम्पन्न किया। डा. सुरेन्द्र "पुराककड़ारी' जिला ललितपुर के श्री माणिकचन्द जैन के सुयोग्य विद्वान पुत्र हैं। वर्तमान में आप श्री महावीर सीनियर सैकण्डरी स्कूल, लाडनूं (राज.) में संस्कृत अध्यापक के पद पर कार्यरत है। - कुमार अनेकान्त जैन जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय लाडनूं - 341 306 (राज.) अपभ्रंश साहित्य अकादमी दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्रीमहावीरजी द्वारा संचालित अपभ्रंश साहित्य अकादमी द्वारा ''पत्राचार प्राकृत सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम'' प्रारंभ किया जा रहा है। सत्र 1 जुलाई, 2000 से प्रारंभ होगा। इसमें प्राकृत संस्कृत, हिन्दी एवं अन्य भाषाओं / विषयों के प्राध्यापक अपभ्रंश, प्राकृत शोद्यार्थी एवं संस्थानों में कार्यरत विद्वान इसमें सम्मिलित हो सकेंगे। नियमावली एवं आवेदन पत्र दिनांक 15 मार्च से 31 मार्च 2000 तक अकादमी कार्यालय, दिगम्बर जैन नसिया भट्टारकजी, सवाई रामसिंह रोड जयपुर - 4 से प्राप्त करें। कार्यालय में आवेदन पत्र पहंचने की अंतिम तारीख 15 मई 2000 है। - डा. कमलचन्द सोगानी, संयोजक 96 अर्हत् वचन, जनवरी 2000
SR No.526545
Book TitleArhat Vachan 2000 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2000
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size24 MB
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