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________________ এধিনায়নের कु.सुन्दरी कुन महाराज ऋषभदेव ब्राह्मी एवं सुन्दरी को विद्यादान देते हुए। जब कल्पवृक्षों ने प्रजा को भोजन, वस्त्र आदि देना बन्द कर दिया तब प्रजा की करूण पुकार को सुनकर प्रभु ने इन्द्र का स्मरण किया। इन्द्र ने आकर प्रभु की आज्ञा प्राप्त कर देवों के द्वारा ग्राम, नगर, देश आदि की रचना कराकर महल, मकान आदि बनवाकर उनमें प्रजा को यथास्थान बसा दिया। उसी समय अयोध्या में मध्य में एक और चारों दिशाओं में एक - एक ऐसे पाँच जिनमन्दिरों का निर्माण देवों के द्वारा किया गया था। अनन्तर प्रभु ने प्रजा को असि - तलवार आदि धारण कर जनता की रक्षा करना, मसि - लिखाई आदि करके आजीविका चलाना, कृषि - बीज बो कर खेती करके धान्य उगाना, बगीचे लगाना आदि विद्या - विद्या का दान देना, वाणिज्य - व्यापार करना और शिल्प - मकान आदि का निर्माण करना, इन षट् क्रियाओं का उपदेश दिया। भोजन बनाने की, गन्ने को पेलकर रस निकालने की, सूत कातकर कपड़े बुनने आदि की क्रियाएँ भी सिखाईं। उसी समय प्रभु ने लोकव्यवहार चलाने के लिये यथायोग्य क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र वर्णों की व्यवस्था बनाई थी तथा अपनी - अपनी जाति में विवाह विधि करने की परम्परा भी बताई थी। ब्राह्मण वर्ण की स्थापना चक्रवर्ती भरत के द्वारा हुई है। किसी समय इन्द्रराज ने महाराज नाभिराज की अनुमति लेकर प्रभु का राज्याभिषेक कर दिया। अनन्तर भगवान ने अनेक राजा, महाराजा आदि बनाकर उन्हें उत्तम राजनीति का उपदेश दिया इसीलिये प्रभु 'आदिब्रह्मा' कहलाये। दीक्षा कल्याणक - बहुत वर्षों के बाद राज्यसभा में एक दिन इन्द्र के द्वारा भक्ति - नृत्य का आयोजन चल रहा था। नृत्य करते-करते नीलांजना अप्सरा की आयु समाप्त हो गई। तत्क्षण इन्द्र ने उसी जगह दूसरी अप्सरा उपस्थित कर दी। नृत्य बराबर चालू रहा। साधारण लोग कुछ भी नहीं समझ सके किन्तु भगवान ने अपने दिव्य अवधिज्ञान से यह सब जान लिया। अत: वे जीवन, यौवन, राज्य आदि को क्षणभंगुर समझ कर विरक्त हो गये। उसी समय लौकान्तिक देवों ने आकर प्रभु के वैराग्य की प्रशंसा की। भगवान ऋषभदेव अपने बड़े पुत्र भरत को राज्य सौंपकर देवों द्वारा लाई गई सुदर्शना नाम की पालकी में बैठे। सबसे पहले अर्हत् वचन, जनवरी 2000
SR No.526545
Book TitleArhat Vachan 2000 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2000
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size24 MB
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