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________________ जैन जगत की अपूरणीय क्षति आचार्य श्री आर्यनन्दिजी महाराज का समाधिमरण परम पूज्य आचार्य श्री समन्तभद्रजी के शिष्य पूज्य आचार्य श्री आर्यनन्दिजी महाराज की समाधि ९५ वर्ष की आयु में महाराष्ट्र प्राप्त के अन्तर्गत लातूर जिले के निकट दि. जैन गरुकल-नवागढ़ में सम्पन्न हुई। शाश्वत तीर्थ श्री सम्मेदशिखर के विकास एवं अ. भा. दि. जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी द्वारा हस्तगत तीर्थों के विकास के पुनीत कार्य को अपना आशीर्वाद एवं सक्रिय सहयोग प्रदान करने वाले वयोवृद्ध आचार्यश्री को कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ परिवार की विनम्र श्रद्धांजलि। डा. दरबारीलालजी कोठिया का समाधिमरण जैन दर्शन के मूर्धन्य विद्वान, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित डा. दरबारीलाल कोठिया का संतशिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के ससंघ सान्निध्य में ८४ वर्ष की आयु में दिगम्बर जैन सिद्धोदय तीर्थ क्षेत्र, नेमावर में समाधिमरण हुआ। आषाढ़ कृष्ण द्वितीया, वि.सं. १९७३, तदनुसार दिनांक ११.६.१९१६ को नैनागिरि में जन्में डा. कोठिया पपौरा, मथुरा, सरसावा, दिल्ली, बड़ौत आदि में अपनी सेवायें देने के उपरान्त १९७० से १९७४ तक काशी हिन्दू वि.वि. में जैन बौद्ध दर्शन विभाग में रीडर पद पर कार्यरत रहकर सेवानिवृत्त हुए। गृहस्थाश्रम के दायित्वों का सजगता से निर्वाह करते हुए आपने जैन जगत को अध्यात्म कमल मार्तण्ड, न्याय दीपिका, आत्मपरीक्षा, सिरपुर पार्श्वनाथ स्तोत्र, शासन चतुश्त्रिंसिका, स्याद्वाद सिद्धि, प्राकृत पद्यानुक्रमणी, प्रमाण प्रमेय कलिका, समाधिमरणोत्साह दीपक, द्रव्य संग्रह, जैन तर्क शास्त्र में अनुमान विचार, प्रमाण परीक्षा, जैन दर्शन और प्रमाण शास्त्र परिशीलन, जैन तत्व ज्ञान मीमांसा, जैन न्याय की भूमिका, जैन पुराण कोष आदि बहुमूल्य कृतियाँ दीं। डा. कोठिया कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ परामर्शदात्री समिति के माननीय सदस्य रहे हैं। उनको ज्ञानपीठ की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि। श्री कैलाशचन्द सेठी का निधन दिगम्बर जैन उदासीन आश्रम ट्रस्ट के ट्रस्टी एवं वयोवृद्ध समाजसेवी श्री कैलाशचन्द सेठी का ११ जनवरी २००० को निधन हो गया। कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में उनकी सामाजिक सेवाओं का स्मरण करते हुए दिवंगत आत्मा की शीघ्र मुक्ति की प्रार्थना की गई। प्रो. जमनालाल जैन का निधन प्रसिद्ध जैन विद्वान तथा प्रबन्ध अध्ययन संस्थान, देवी अहिल्या वि.वि. के पूर्व निदेशक प्रो. जमनालाल जैन का फरवरी २००० में संक्षिप्त बीमारी के बाद ७६ वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके निधन से जैन समाज ने एक स्पष्टवादी, निर्भीक, स्वाध्याय प्रेमी जैन विद्वान को खो दिया। ज्ञानपीठ परिवार की विनम्र श्रद्धांजलि। 98 अर्हत् वचन, जनवरी 2000
SR No.526545
Book TitleArhat Vachan 2000 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2000
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size24 MB
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