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________________ 'बुन्देलखण्ड के जैन तीर्थ एवं उनकी वास्तुकला' विद्वत्गोष्ठी बुन्देलखण्ड गौरव पंडित गोरेलाल शास्त्री स्मृति ग्रंथ लोकार्पण समारोह सम्पन्न लघु सम्मेदशिखर, पावन भूमि, सिद्धक्षेत्र द्रोणगिरि में सर्वोदयी सन्त, प्रज्ञाश्रमण 108 आचार्य श्री देवनन्दिजी महाराज के ससंघ वर्षायोग के मध्य आचार्यश्री की 36 वीं जन्म जयन्ती पर अखिल भारतीय विद्वत् संगोष्ठी एवं बुन्देलखंड गौरव प. गोरेलाल शास्त्री स्मृति ग्रंथ का लोकार्पण समारोह 13 अगस्त से 15 अगस्त 1999 तक आयोजित किया गया। अखिल भारतीय विद्वत् संगोष्ठी बुन्देलखंड के जैन तीर्थ, उनकी वास्तु कला एवं वास्तु विद्या पर केन्द्रित थी। संगोष्ठी चार सत्रों में - प्रथम सत्र सिद्ध क्षेत्र द्रोणगिरि, द्वितीय सत्र बुन्देलखंड के जैन तीर्थ, तृतीय सत्र तीर्थ क्षेत्रों की वास्तु कला एवं वास्तु विद्या पर सम्पन्न हुई। सगोष्ठी का उद्घाटन दिनांक 13 अगस्त को प्रात: 9 बजे चौबीसी जिनालय के विशाल प्रवचन मण्डप में आचार्य श्री देवनन्दिजी के सानिध्य में वर्णीजी के चित्र के समक्ष मुख्य अतिथियों द्वारा आचार्य संघ के सान्निध्य में दीप प्रज्वलन से हआ। संगोष्ठी के संयोजक डॉ. भागचन्द्र जैन 'भागेन्दु ने संगोष्ठी की पूर्व पीठिका पर प्रकाश डालते हुए उदयपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. उदयचन्द्रजी को सिद्धक्षेत्र द्रोणगिरि पर अपना शोध आलेख प्रस्तुत करने के लिये आमंत्रित किया। डॉ. प्यारेलालजी शर्मा, श्री कमलकुमार जैन, डॉ. दयाचन्द्रजी साहित्याचार्य-सागर द्वारा द्रोणगिरि पर अपने आलेख प्रस्तुत करने के पश्चात आचार्यश्री ने संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए समागत विद्वानों को अपना शुभाशीष प्रदान करते हए संगोष्ठी की उपादेयता बताई। आचार्य श्री के सम्बोधन के साथ ही संगोष्ठी का प्रथम सत्र समाप्त हुआ। संगोष्ठी का द्वितीय सत्र 2.30 से एवं तृतीय सत्र 14.8.99 को बुन्देलखंड के जैन तीर्थ, उनकी वास्तु कला एवं वास्तु विद्या पर प्रारम्भ हुए जिसमें अधिकारी विद्वानों ने शोध - खोज पूर्ण आलेख प्रस्तुत किये। दिनांक 14.8.99 को संगोष्ठी का चतुर्थ सत्र एवं बुन्देलखंड गौरव पंडित गोरेलाल शास्त्री स्मृति ग्रन्थ का लोकार्पण समारोह आचार्यश्री के ससंघ सान्निध्य में प्रो. शिवकुमार श्रीवास्तव, कुलपति - सागर, श्री डालचन्द जैन, पूर्व सांसद - सागर, श्री दशरथ जैन, पूर्व मंत्री, श्री नीरज जैन- सतना आदि की विशिष्ट उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। संगोष्ठी में सर्वश्री डॉ. आर. डी. मिश्र - सागर, डॉ. एन. आर. राठोर, डॉ. जी. सी स्वर्णकार - दमोह, डॉ. भवानीदीन, डॉ. स्वामीदीन - हमीरपुर, श्री नीरज जैन, श्री निर्मल जैन- सतना, डॉ. शीतलचन्द्र जैन, डॉ श्रेयांसकुमार जैन, डॉ. सनतकुमार जैन - जयपुर, डॉ. लालचन्द्र जैन - वैशाली, डॉ. कृष्णा जैन, डॉ. अभयप्रकाश जैन, श्री रामजीत जैन एडवोकेट - ग्वालियर, डॉ. उदयचन्द्र जैन - उदयपुर, डॉ. नरेन्द्रकुमार जैन - श्रावस्ती, पं. उत्तमचन्द्र जैन राकेश - ललितपुर, पं. गुलाबचन्द्र जैन पुष्प, पं. जयनिशान्त, पं. बाबूलाल जैन प्रतिष्ठाचार्य-टीकमगढ़ आदि 50 विद्वान सम्मिलित हुए। गीता - ज्ञान - आराधना 'स्वतंत्र' पारमार्थिक न्यास की स्थापना ___ जैनमित्र के भूतपूर्व सम्पादक, समाज सुधारक, स्व. पं. श्री ज्ञानचन्द्रजी जैन 'स्वतंत्र' की नवमी पुण्यतिथि पर श्रावण शुक्ल वात्सल्य पूर्णिमा के दिन उनकी स्मृति में परिवारजनों ने एक लाख रुपये के ध्रौव्य फण्ड से उक्त पारमार्थिक न्यास की स्थापना की। 'स्वतंत्र' जी की विदुषी बालब्रह्मचारिणी पुत्री डॉ. आराधना जैन ने बताया कि निर्धन एवं पात्र छात्रों को छात्रवृत्ति, विधवाओं एवं अनाथों को सहयोग, विद्वानों का सम्मान तथा ऐसे ही अन्य कार्य करना न्यास के उद्देश्य हैं। अर्हत् वचन, अक्टूबर 99
SR No.526544
Book TitleArhat Vachan 1999 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year1999
Total Pages92
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size5 MB
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