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गुफा, गणेश गुफा, पातालपुरी गुफा आदि हैं। छोटा हाथीगुफा के सम्मुख भाग पर तीन हाथियों को पत्र पुष्प लेकर धीरे - धीरे आते दिखाया गया है। मंचपुरी गुफा के निचले खण्ड में कलिंगजिन की प्रतिमा की प्रतिष्ठा का चित्र उत्कीर्ण है। खण्डगिरि पर्वत का गुफा समूह -
इस पर्वत पर मुख्य गुफाएं है - ततोवा गुफा, अनंत गुफा, ध्यान गुफा, नवमुनि गुफा, बाराभुजी गुफा, त्रिशूल गुफा आदि। खण्डगिरि की दोनों ततोवा गुफाओं के तोरणों पर शक पक्षी उत्कीर्णित हए है। संभवत: इसी कारण ये गफाएं ततोवा नाम से संबोधित की गई। ध्यान गुफा को ध्यान घर भी कहा जाता है। नवमुनि गुफा के अंदर नौ तीर्थंकरों की प्रतिमायें है। इसलिए यह नवमुनि गुफा कहलाती है। प्रत्येक प्रतिमा के ठीक नीचे इनकी शासन देवियों की प्रतिमाएं है। बाराभुजी गुफा के बरामदे की दीवार के दोनों ओर बारह हाथवाली 2 जैन शासन देवियों की मूर्तियाँ उत्कीर्णित हुई हैं। दाहिनी ओर तीर्थकर अजितनाथ की शासनदेवी रोहिणी है तथा बांईं ओर तीर्थंकर आदिनाथ की शासन देवी चक्रेश्वरी है। इस गुफा में चौबीस तीर्थंकरों की प्रतिमायें है। 23 प्रतिमायें योगासन में है तथा पार्श्वनाथ की नग्न दिगम्बर खड्गासन प्रतिमा है। प्रत्येक तीर्थंकर के नीचे उनके लाँछन (चिन्ह) तथा उसके नीचे उनकी यक्षिणियों की प्रतिमाएँ है। त्रिशूल गुफा का निर्माण जैन अर्हतों के निवास हेतु किया गया था। बाद में यहां चौबीस तीर्थंकरों की प्रतिमायें बनी। वर्तमान स्थिति -
वर्तमान में खण्डगिरि.- उदयगिरि क्षेत्र के पर्वत तथा गफाएँ भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीनस्थ है। परन्तु खण्डगिरि के शीर्ष पर स्थित 5 आर्वाचीन जिनालय श्री बंगाल, बिहार, उड़ीसा तीर्थक्षेत्र कमेटी के आधीन है। अब लगने लगा है कि लगभग 2200 वर्ष प्राचीन यह अद्भुत विरासत, यह तीर्थं अपनी अंतिम सांसें ले रहा है। और शायद कुछ समय बाद यह क्षेत्र नष्ट भी हो जाये तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं। क्षेत्र की वर्तमान स्थिति इसका सशक्त प्रमाण है।
यहाँ में प्रस्तुत करना चाहूँगा इस तीर्थ क्षेत्र की आँखों देखी वर्तमान स्थिति। उपरोक्त विवरण में जिस वाराभुजी गुफा का वर्णन किया था, वह अब पूर्णतया हिन्दू पुजारियों के अवैध कब्जे में है। इस गुफा की जालियां तोड़ दी गई हैं। गुफा में चौबीस तीर्थंकरों तथा उनकी यक्षिणियों की प्रतिमायें है, जिन पर काला पेंट पोत
दिया गया है। इसी गुफा से भगवान पार्श्वनाथ की लगभग 4 फुट ऊँची खड्गासन प्रतिमा है। जिसे कपड़े पहना दिये गए है। और नागदेवता के रूप में पूजा जा रहा है। इस मंदिर के ठीक सामने एक नये मंदिर का निर्माण कर शिवलिंग स्थापित कर दिया गया है। भुवनेश्वर के आस-पास 30
अर्हत् वचन, अक्टूबर 99