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________________ के गाँव के हिन्दू लोगों की हर महीने यहाँ मीटिंग होती है। जिसमें जैन धर्म का खुले आम विरोध किया जाता है। इस गुफा को ये लोग दुर्गा मंदिर कहते है। इस स्थान पर प्रतिदिन 20-25 बसें/ गाड़ियाँ आती है। जिससे यहां के पुजारियों को प्रतिमाह चढ़ावें के रूप में 40-45 हजार रूपयों की कमाई हो रही है। साथ ही ये लोग इस स्थान को हिन्दुओं का बताकर दुष्प्रचारित कर रहे हैं। यह गुफा तथा अन्य सभी गुफायें भारतीय पुरातत्व विभाग के अन्तर्गत आती है। इसके पश्चात भी इन पर अवैध कब्जा किया जा चुका है। और यह सब सिर्फ पिछले. 4-5 सालों में हआ है। इस गुफा के बराबर में स्थित नवमुनि गुफा तथा त्रिशूल गुफा की जालियां टूटी पड़ी हैं। जिन पर कभी भी कब्जा हो सकता है। यहां के हिन्दू पुजारी : मांसाहारी है तथा पर्वत की पावन भूमि पर शराब पीना आदि का व्यसन करते हैं। दूसरी तरफ उदयगिरि पर्वत के अहाते में ही हिन्दुओं का पादुका आश्रम. चल रहा है। इस स्थान पर भी हमेशा हिन्दू पुजारियों का जमावड़ा रहता है। विश्व प्रसिद्ध हाथी गुफा शिलालेख अपनी दुर्दशा पर रो रहा है। बरसात और धूप तथा मानव कृत्यों से यह असुरक्षित है। समाधान - आज समाज के सामने एक महत्वपूर्ण प्रश्न खडा है। नवीन मंदिरों एवं जिनालयों के निर्माण तथा पंचकल्याणक प्रतिष्ठाओं के अलावा समाज के पास कोई गतिविधियाँ नहीं है। क्या हम हमारे 2500 वर्ष प्राचीन इतिहास को बचा पा रहे है? वैसे भी दिगम्बर समाज के पास प्राचीन सामग्री समाप्त होती जा रही है। कहीं श्वेताम्बर तो कहीं हिन्दुओं के अवैध कब्जों ने दिगम्बर समाज को आहत किया हुआ है। ऐसे में आवश्यकता है निर्णय करने की। अगर भारतीय पुरातत्व विभाग से इस प्राचीन स्मारक की रक्षा नहीं हो रही है, तो समाज को यह क्षेत्र अपने हाथ में ले लेना चाहिये। उड़ीसा सरकार वर्ष 1999-2000 को खारवेल वर्ष के रूप में मना रही है। अगर खारवेल वर्ष में भी यहां की सुरक्षा की बात नहीं उठाई गई तो खारवेल वर्ष मनाने का औचित्य क्या है? महान दिगम्बर सम्राट खारवेल की आत्मा भी आज रो रही होगी, जब उसका निर्माण मिट्टी में मिल रहा है। हमारे पास कुछ ही स्थान ऐसे हैं जो कि विदेशी पर्यटकों तथा विद्वानों को भी आकर्षित करते है। उनमें से एक स्थान यह भी है। दिगम्बर संस्कृति के प्रचार-प्रसार हेतु इस स्थान को बचाना अत्यंत आवश्यक है। मैं अनुरोध करूंगा सभी साधु संतों से, समाज के नेतृत्व वर्ग से, तथा समाज से कि अगर दिगम्बर धर्म व संस्कृति को बचाना है, तो इस स्थान को बचाइये। वरना कुछ समय बाद अपना कहने के लिए समाज के पास कुछ नहीं बचेगा। समाज से निवेदन हैं कि अगर अपनी संस्कृति पर गर्व है तो उदयगिरि - खडगिरि सिद्ध क्षेत्र का य अवश्य करें तथा हर सार्वजनिक सभा में इस क्षेत्र की बात उठाएँ। समाज के नेतृत्व वर्ग से उत्तर तथा उचित कार्यवाही की प्रतीक्षा में एक जिनेन्द्र भक्त, गुरू भक्त, तीर्थ भक्त....। प्राप्त - 11.8.99 अर्हत् वचन, अक्टूबर 99
SR No.526544
Book TitleArhat Vachan 1999 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year1999
Total Pages92
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size5 MB
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