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________________ जैन आदि सम्मिलित हैं। इस अधिवेशन में मध्यप्रदेश के इन्दौर एवं गुना नगरों से सम्बद्ध मूलत: चिकित्सक एवं वर्तमान में हीरों के व्यापार से सम्बद्ध डॉ. महेन्द्र पांड्या का आगामी 2 वर्ष हेतु अध्यक्ष पद पर निर्वाचन हम सबके लिये गौरवपूर्ण है। धार्मिक एवं संस्कारवान परिवार से सम्बद्ध डॉ. पांड्या एवं श्रीमती आशा पांड्या की जैन साहित्य एवं पुरातत्व में गहन अभिरूचि है। विदेश में निवास कर रहे जैन बन्धओं तथा विदेश में ही जन्म लेने वाली नई जैन पीढी में जैन संस्कारों को संरक्षित करना एवं विकसित करना, उनकी प्राथमिकताओं में सम्मिलित हैं। सरल, सुबोध, प्रवाहपूर्ण शैली में अंग्रेजी भाषा में तर्कपूर्ण वैज्ञानिक दृष्टि सम्पन्न जैन साहित्य के सृजन की उनकी कल्पना को मूर्तरूप देने में सभी का सहयोग अपेक्षित है। कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ से एक भेंट में डॉ. पांड्या ने सभी से एतदर्थ सहयोग का आग्रह किया है। अर्हत् वचन ने वर्ष-6, अंक-3 (जुलाई 1994), पर्यावरण विशेषांक के रूप में प्रकाशित किया था। उस अंक की व्यापक रूप से प्रशंसा हुई थी। हमें यह लिखते हुए गौरव की अनुभूति हो रही है कि उस अंक की शोधकर्ताओं में व्यापक मांग के कारण अब तक छाया प्रतियाँ उपलब्ध करानी पड़ रही हैं। प्रस्तुत अंक में हमनें पुन: पर्यावरण विषयक 3 आलेख क्रमश; डॉ. उदयचन्द जैन - उदयपुर, डॉ. राजेन्द्रकुमार बंसल - अमलाई एवं डॉ. मालती जैन - मैनपुरी के प्रकाशित किये हैं। श्री सूरजमल बोबरा का आलेख ऐतिहासिक तथ्यों के संकलन की नई दृष्टि देता है एवं गणितज्ञ श्री दिपक जाधव ने बिना किसी पूर्वाग्रह के गोम्मटसार के नामकरण पर दृष्टि डाली है। श्री लखनलाल खरे ने पारागढ़ में धूलधूसरित हो रहे जैन वैभव की जानकारी देकर जैन धर्मावलम्बियों पर उपकार ही किया है। श्री खरे एवं श्री गौरव छाबड़ा ने जो प्रश्न उठाये हैं उन पर दृष्टिपात कर जैन संस्कृति के विस्मृत हो रहे अवशेषों एवं बलात् नष्ट किये जा रहे पूजा स्थलों का संरक्षण मात्र तीर्थ क्षेत्र कमेटी का ही नहीं हम सबका दायित्व है। संतशिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज ने अपने इस इन्दौर चातुर्मास में गौशालाओं की स्थापना की सम्यक् प्रेरणा दी एवं नव स्थापित 'दयोदय चेरिटेबल फाउण्डेशन' के माध्यम से इन्दौर में शीघ्र ही एक बड़ी गौशाला की स्थापना की जायेगी। कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ के अध्यक्ष माननीय श्री देवकुमारसिंह जी कासलीवाल के नेतृत्व में अहिल्या माता गौशाला जीवदया मंडल ट्रस्ट द्वारा अहिल्या माता गौशाला का इन्दौर में आदर्श रूप में संचालन किया जा रहा है। इसी पृष्ठभूमि में डॉ. अभयप्रकाश जैन - ग्वालियर का आलेख पठनीय है। डॉ. सुरेश मारोरा द्वारा संकलित जानकारी निश्चय ही तीर्थों के चतुर्दिक पर्यावरण के विकास में उपयोगी होगी। पत्रिका पत्रिका का आगामी अंक भगवान ऋषभदेव विशेषांक के रूप में प्रकाशित होगा जिसमे नियमित रूप से प्रकाशित होने वाले आलेखों के अतिरिक्त भगवान ऋषभदेव पर विशेष सामग्री प्रकाशित होगी। माननीय लेखकों से शोधपूर्ण सामग्री 15 जनवरी 99 तक सादर आमंत्रित है। . प्रस्तुत अंक की सामग्री के संशोधन एवं प्रकाशन में सहयोग हेतु मैं सम्पादक मंडल के सभी सदस्यों एवं कुन्दुकुन्द ज्ञानपीठ के कार्यालयीन सहयोगियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ। 14.12.99 डॉ. अनुपम जैन अर्हत् वचन, अक्टूबर 99
SR No.526544
Book TitleArhat Vachan 1999 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year1999
Total Pages92
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size5 MB
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