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________________ है। चतुस्त्र जाति की लय का संबंध इस पृथ्वी से है जिस पर हम निवास करते हैं। आगे महामंत्र की संगीत लिपि दी गई है - __ नवकार मंत्र की संगीत लिपि (ताल कहरवा, चार मात्रा) प सा -सा नि | सा - नि ध | नि रे रे सा | रे म ग म ओ ऽ ऽम ण | मो 5 अ रि | हं 5 ता | णं 5 5 5 रे - -ग रे | सा - नि ध नि ग रे सा | सा - - - ओ ऽ ऽम ण | मो ऽ55 सि । द्धा ऽ | णं 5 5 5 ग - -म -ग | ग - ग - | सारे गम म ग | म - - - ओ ऽऽम ण | मो ऽ आ 5 | यऽ रिऽ या 5 | णं 5 5 5. रे - मग म प - ध प | ग - रे सा | सा - - - ओ ऽ ऽम ण | मो ऽ उ व | ज्झा 5 या 5 | णं ऽ ऽ ऽ सा सा - नि | सा - नि ध | नि रे रे सा | रे म ग म . ण मो ऽ लो | ए ड स व्व | सा 5 हू 5 | णं 5 5 5 . उपर्युक्त पंक्तियों के साथ निम्न पंक्तियाँ भी गाई जाती है - र ए ग स रे Elan | - ग रे | सा । सो ऽ | पं - ग - | ग 5 व्व | पा रे म - | प | णं सा सा नि | सा ढ मं - | ह - गग रे | सा ऽ ऽम ७ | मो - ऽ - 5 ध 5 - व - 5 नि च ग व प च नि ध | नि ग रे ण | मु 5 क्का ग | सारे गम म प | णाऽ ऽऽ ऽ म | ग - रे स व्वे ध | नि रे रे ई । म ड ग ध नि ग रे रिं | ई ता - | सा - - - 5 | रो ऽ ऽ ऽ ग | म - - - स | णो ऽ ऽ ऽ - सा - - - 5 सी ऽ ऽ ऽ सा | रे म ग म | लं ऽऽऽ सा | सा ऽ ऽ ऽ 5 | णं ऽ ऽ सा प रे ओ . 적 외. नि अ संगीत लिपि संकेत - मध्य सप्तक के स्वरों पर किसी प्रकार का चिन्ह नहीं है। मन्द सप्तक के स्वरों के नीचे बिन्दु का संकेत है। जैसे नि, ध। कोमल स्वर के नीचे आड़ी लाइन है जैसे नि, ग ध। ताल चिन्ह + इसे "सग' कहते हैं। अर्द्धचन्द्र के स्वर या शब्द एक मात्रा दर्शाते हैं। जैसे सारे, गम या ऽऽ आदि। तालछंदों का संबंध षट कमल दल चक्रों से भी है। ताल छंद एवं षट चक्र कहरवा चार मात्रा चतुस्त्र जाति मूलाधार चक्र दादरा छह मात्रा तिस्त्र जाति स्वाधिष्ठान चक्र झपताल, शूलताल दस मात्रा मिश्र जाति मणिपूरक चक्र 4. चौताला, इकताला बारह मात्रा तिस्त्र जाति अनाहत चक्र 5. त्रिताल सोलह मात्रा चतुस्त्र जाति विशुद्ध चक्र महामंत्र की प्रचलित धुन (राग) चतुस्त्र जाति, मूलाधार चक्र से संबंधित है। पद अर्हत् वचन, जुलाई 99
SR No.526543
Book TitleArhat Vachan 1999 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year1999
Total Pages88
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size5 MB
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