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________________ के रूप में सामने आती है। . ___आकाश और काल (Space and Time) की अभिन्नता के संदर्भ में सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक हाइसनबर्ग लिखते है 'जब हम भूत शब्द का प्रयोग करते है, तब उसका तात्पर्य यही होता है कि उसमें घटित सभी घटनाओं का ज्ञान करने के लिए हम समर्थ हैं, वे घटनायें घट चुकी हैं। इसी प्रकार से जब हम भविष्य का प्रयोग करते हैं, तो अर्थ होता है कि वे सभी घटनायें जो अब तक घटित नहीं हुयी हैं, 'भविष्य' की है, जिनको हम प्रभावित करने में असमर्थ है............इन परिभाषाओं का हमारे दैन्दिन के शब्द व्यवहार से सीधा संबध है। अत: इस अर्थ में यदि हम इन शब्दों (भूत और भविष्य) का उपयोग करते हैं, तो बहुत सारे प्रयोगों के परिणामस्वरूप यह बताया जा सकता है कि 'भविष्य' और 'भूत' की घटनायें दृष्टा की गतिमान अवस्था अथवा अन्य गुणधर्मों से बिल्कुल ही निरपेक्ष है।' आइन्स्टीन का मानना है15 - 'जिस प्रकार रंग, आकार, परिमाण हमारी चेतना से उत्पन्न विचार हैं उसी प्रकार आकाश और काल भी हमारी आन्तरिक कल्पना के ही रूप है। जिन वस्तुओं को हम आकाश में देखते हैं, उनके 'क्रम' के अतिरिक्त आकाश की कोई वस्तु सापेक्ष वास्तविकता नहीं हैं। इसी प्रकार जिन घटनाओं के द्वारा हम समय को मापते हैं, उन घटनाओं के क्रम के अतिरिक्त काल का कोई स्वतंत्र अस्तित्व नहीं है', 'आकाश का और काल का स्वतंत्र वस्तु सापेक्ष अस्तित्व न होने पर भी 'आकाश और काल की संयुक्त चतुर्विमीय सततता' वस्तु सापेक्ष वास्तविकता का प्रतीक है।' आइन्स्टीन के इसी सिद्धान्त को मानते हुये वैज्ञानिक हंस राइशनबाख ने अधिक ष्ट करते हुए यह निरूपण किया है कि आकाश और काल का वस्तु सापेक्ष स्वतंत्र अस्तित्व है। वे लिखते हैं' - हम निम्न कथन को आकाश और काल संबंधी सबसे अधिक सामान्य विधान के रूप में लिख सकते हैं - 'सर्वत्र और सदा आकाश काल की निर्देश निकाय का अस्तित्व है - यह निष्कर्ष आकाश और काल के बीच की भेदरेखा को अच्छी तरह प्रमाणित करता है।' राइशनबाख आकाश के गुण धर्म वस्तु सापेक्ष मानते है, उनके समग्र चिंतन का सार यही है कि वे आपेक्षिकता के सिद्धान्त को स्वीकार करते हैं, फिर भी 'आकाश' और 'काल' की वस्त सापेक्ष, वास्तविकता के निरूपण को इस सिद्धान्त का फलित प्रतिपादन मानते हैं। - आकाश और काल को प्रो. हेनी मार्गेनो भी वास्तविक मानते हैं। वे मानते है18 - कोई भी पदार्थ सापेक्ष होने से अवास्तविक नहीं बन जाता। निरपेक्ष आकाश की मान्यता को यद्यपि आपेक्षिकता का सिद्धान्त स्वीकार नहीं करता, फिर भी उससे 'आकाश' की वास्तविकता का अस्वीकार नहीं होता।' विज्ञान मनीषी स्टीफेन हाकिंग ने अपनी विश्वविख्यात रचना The Brief History of Time)" में समय की सापेक्षिकता पर काफी मूल्यवान विचार व्यक्त किये हैं। उन्होंने समय को एकीकृत गुरुत्वबल से जोड़कर 'काल्पनिक समय' की एक नयी परिकल्पना दी है अनुसार इस स्थिति में दिशाओं का अस्तित्व विलीन हो जाता है, जबकि वास्तविक समय में दिशा महत्वपूर्ण स्थान है। इस क्रम में 'काल' के तीन रूप प्रकाश में आए - 1. Thermodynamic Arrow of Time अर्हत् क्चन, जुलाई 99 27
SR No.526543
Book TitleArhat Vachan 1999 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year1999
Total Pages88
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size5 MB
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