SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 19
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अर्हत् वचन कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर वर्ष - 11, अंक - 3, जुलाई 99, 17 - 22 जैन कर्म सिद्धान्त की जीव वैज्ञानिक परिकल्पना - अजित जैन 'जलज' * सारांश भारतीय संस्कृति में कर्म सिद्धान्त की अवधारणा आदिकाल से धर्म दर्शन से लेकर जन-जन तक में रची बसी हुयी है। जिसके कारण व्यक्ति और समाज, एक आदर्श आचार संहिता में बंधा रहा है। परन्तु वर्तमान वैज्ञानिक युग में परम्परा एवं श्रद्धा का स्थान प्रमाण तथा तथ्य ने ले लिया है जिससे यह कर्म सिद्धान्त अब अंध विश्वास का परिचायक बनता जा रहा है। ऐसे विकट समय में कर्म सिद्धान्त की वैज्ञानिकता को लेकर अनेकों विद्वानों ने अपने मत दिये हैं। इसी तारतम्य में एक नयी सोच के रूप में इस शोध पत्र में जैन कर्म सिद्धान्त के गहन, गूढ़ सिद्धान्त तथा जीव विज्ञान के जीवन नियामक मूलभूत सिद्धान्तों के बीच तथ्यात्मक संबंध स्थापित करके नूतन परिकल्पना प्रस्तुत की गयी है जिस पर सार्थक अन्वेषण होने पर ऐसा कुछ प्राप्त किया जा सकता है जिससे धर्म, विज्ञान के बल पर सर्व स्वीकार्य बन सकता है तथा इस प्रकार से एक सहज, सुखी, सरल समाज का सृजन हो सकेगा। प्रस्तावना अर्नकों धर्मों, दर्शनों में कर्म सिद्धान्त दिया गया है जिसमें से जैन दर्शन द्वारा प्रस्तुत कर्म सिद्धान्त अपने आप में अद्भुत, वैज्ञानिक तथा सटीक लगता है। जैन कर्म सिद्धान्त पर अब तक अनेक विद्वान विभूतियाँ शोध पत्र प्रस्तुत कर चुके हैं जिनमें से आचार्य कनकनंदी का 'कर्म सिद्धान्त का वैज्ञानिक विश्लेषण', Eco-Rationality and Jain Karma Theory by Mr. Krivov Sergui, पारसमल अग्रवाल का 'कर्म सिद्धान्त एवं भौतिक विज्ञान का क्वाण्टम सिद्धान्त', Karmic Theory in Jain Philosophy by Manik Chand Gangwal, जे. डी. जैन का 'कर्मबन्धन का वैज्ञानिक विश्लेषण' आदि प्रमुख हैं। लेकिन जीवन के वैज्ञानिक आधार जीवन विज्ञान को गहराई से संभवतः नहीं देखा गया है। प्रस्तुत प्रयास में जीव विज्ञान की विभिन्न शाखाओं आणविक जीव विज्ञान, आनुवंशिकी, कोशिका विज्ञान के सूक्ष्म विश्लेषण के साथ जैन कर्म सिद्धान्त की आस्रव, बंध की अवधारणाओं से समान्तरता / समानता स्थापित कर जैन कर्म सिद्धान्त की जीव वैज्ञानिक परिकल्पना निम्न बिन्दुओं के अन्तर्गत की गयी है - 1. जीवन का जैव वैज्ञानिक आधार 2. जीवन का जैन कर्म सिद्धान्त 3. कर्म सिद्धान्त की जीव वैज्ञानिकता *वीर मार्ग, ककरवाहा, टीकमगढ़-472010 (म.प्र.)
SR No.526543
Book TitleArhat Vachan 1999 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year1999
Total Pages88
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy