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________________ की कोशिकाओं में यह गुण होता है कि वे द्विगुणन द्वारा अपनी वंश वृद्धि कर सकते हैं। इस विशेष गुण के कारण ही कई वनस्पतियों में क्लोनिंग की प्रक्रिया बहुत प्राचीन है। कलम द्वारा पौधे लगाना इसी प्रक्रिया के अन्तर्गत आते हैं। कई एक कोशिय सक्ष्म जीव भी यही प्रक्रिया अपनाते हैं। पशुओं के क्लोन तैयार करने की कोशिशें भी काफी समय से होती रही हैं। वैज्ञानिकों ने पचास के दशक में मेढ़कों के क्लोन बनाने के कई प्रयोग किये। सन् 1952 में इस क्षेत्र में आंशिक सफलता भी प्राप्त कर ली। लेकिन पूरी तरह से साठ के दशक में ही सफल हो पाये तथा मेढ़क के 30 क्लोन तैयार कर डाले। स्तनधारी पशुओं में क्लोनिंग और कठिन प्रक्रिया है। इसका मुख्य कारण यह है कि इन पशुओं के अण्डाणु (Egg Cell) बहुत छोटे तथा अधिक भंगुर होते हैं। इस प्रक्रिया में मेढक के प्रत्यारोपण के लिये एक खास सूक्ष्म शल्य चिकित्सा (Micro Surgery) करनी पड़ती है। सत्तर के दशक में खरगोशों तथा चूहों के क्लोन तैयार करने के कई प्रयोग किये गये तथा अन्तत: वैज्ञानिक सफल भी रहे। नब्बे के दशक में भेड़ के क्लोन तैयार करने के कई प्रयोग किये गये। लेकिन सबसे अधिक तहलका तब मचा जब एडिनबर्ग (स्काटलैण्ड) में स्थित 'रोसलिन इन्स्टीट्यूट' के वैज्ञानिक डॉ. इआन विलमट ने फरवरी 1996 को डॉली के रूप में एक पूर्ण स्वस्थ भेड़ का क्लोन पैदा कर लिया। इसे एक महान उपलब्धि के रूप में लिया गया क्योंकि इससे मानव क्लोन तैयार करने का रास्ता और अधिक स्पष्ट हो गया। क्लोन बनाने की तकनीक क्लोनिंग की चर्चा आगे बढ़ाने से पहले हमें कोशिकाओं तथा स्तनधारियों में सामान्य प्रजनन की प्रक्रिया को थोड़ा समझना होगा। प्रत्येक पशु, वनस्पति में अनेकों कोशिकायें जाती हैं। मनुष्य के शरीर में इन कोशिकाओं की कुल संख्या सौ खरब (101) तक हो सकती है। प्रत्येक कोशिका अपने आप में एक अलग अस्तित्व वाला पूर्ण जीव होता है। यह वैसे ही एक अलग जीव है जैसे कि हम और आप। कोशिका के केन्द्र में एक नाभिक होता है जिसे केन्द्रक भी कहते हैं। केन्द्रक के अन्दर इस जीव के गुण सूत्र (क्रोमोसोम्स) होते हैं। मनुष्य की कोशिका में गुणसूत्रों की संख्या 46 होती है। इन गुणसूत्रों में ही आनुवांशिकी के सभी गुण मौजूद होते हैं। क्रोमोसोम्स (गुणसूत्रों) की रचना डी.एन.ए. तथा आर.एन.ए. नामक रसायनों से निर्मित होती है। इन गुणसूत्रों पर ही जीन्स स्थित होते हैं। कोशिका के केन्द्रक के चारों ओर एक जीव द्रव होता है जिसे प्रोटोप्लाज्म कहते हैं। नर के शुक्राणु तथा मादा के अण्डाणु भी परिपक्व (Maturel) कोशिकायें होती हैं। स्तनधारी पशुओं में लैंगिक प्रजनन होता है। इस प्रक्रिया में शुक्राणु अण्डाणु को फलित या निषेचित कर देता है तथा एक नई कोशिका का निर्माण होता है। इस नई कोशिका में पुन: द्विगुणन करने की क्षमता होती है जिससे वह भ्रूण में परिवर्तित हो जाता है। इस नई निषेचित या फलित कोशिका के केन्द्रक में गुणसूत्र (क्रोमोसोम्स) की संख्या तो 46 ही होती हैं, लेकिन इसमें आधे गुणसूत्र नर के तथा आधे मादा के होते हैं। इसके विपरीत क्लोनिंग द्वारा उत्पन्न नई कोशिका में सारे के सारे गुणसूत्र किसी एक के ही होते हैं। स्तनधारी पशुओं के क्लोन पैदा करने की प्रक्रिया कुछ इस प्रकार से है। इसके अर्हत् वचन, जुलाई 99
SR No.526543
Book TitleArhat Vachan 1999 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year1999
Total Pages88
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size5 MB
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