SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 11
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वर्ष - 11, अंक - 3, जुलाई 99, 9 - 15 अर्हत् वचन कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर क्लोनिंग तथा कर्म सिद्धान्त - अनिल कुमार जैन* कुछ वर्षों से 'क्लोनिंग' एक बहुचर्चित विषय रहा है। खासतौर पर जब से वैज्ञानिकों ने एक भेड़ का क्लोन तैयार करने में सफलता प्राप्त कर ली है तब से नाना प्रकार की अटकलें लगाई जाती रही हैं। कुछ वैज्ञानिकों ने यह कह कर कि मानव का क्लोन भी दो वर्षों के अन्दर तैयार कर लिया जायेगा, इस विषय की ओर आम लोगों का ध्यान भी आकर्षित कर दिया है। कई वैज्ञानिक तथा अनेकों बुद्धिजीवी इस विवाद में उलझे हए हैं कि क्या मानव का क्लोन भी तैयार किया जा सकता है? क्या मानव क्लो करना एक अनैतिक कृत्य नहीं होगा? आजकल इन्टरनेट पर भी इसके समर्थन और विरोध में मत जुटायें जा रहे हैं। कई विकसित देश भी इस विवाद में कूद पड़े हैं। क्लोनिंग ने वैज्ञानिकों तथा बुद्धिजीवियों को तो प्रभावित किया ही है, साथ ही दार्शनिकों एवं धार्मिक नेताओं को भी चक्कर में डाल दिया है। जो प्रचलित धार्मिक धारणायें हैं उनके लिये भी क्लोनिंग एक चुनौती भरा विषय बन गया है। इसलिये क्लोनिंग को धार्मिक परिप्रेक्ष्य में पारिभाषित करना अपेक्षित हो गया है। इस चर्चा को आगे बढ़ाने से पहले हमें क्लोनिंग तथा उसकी तकनीक के बारे में जानना होगा। क्लोनिंग क्या है? किसी जीव विशेष का जेनेटिकल प्रतिरूप पैदा होना क्लोनिंग कहलाता है। क्लोन उस जीव विशेष का मात्र नवजात शिशु ही नहीं होता बल्कि यह उस जीव का एक प्रकार से कार्बन कापी होता है। जन्म की सामान्य प्रक्रिया में भ्रूण का निर्माण नर के शुक्राणु (Sperm Cell) तथा मादा के अण्डाणु (Egg Cell) के संगठन (Fission) से होता है तथा इस भ्रूण की कोशिका (Cell) के केन्द्रक (Neuteus) में जो गुणसूत्र (Cromosomes) पाये जाते हैं उनमें से कुछ गुणसूत्र नर के तथा कुछ गुणसूत्र मादा के होते हैं। सामान्य जन्म की यह प्रक्रिया लैंगिक (Sexual) प्रजनन कहलाती है। क्लोनिंग की प्रक्रिया में भ्रूण का निर्माण कछ अलग ढंग से कराया जाता है (इसका हम आगे वर्णन करेंगे) तथा इस भ्रूण की कोशिका के केन्द्रक में सारे के सारे गुणसूत्र किसी एक (नर या मादा) के होते हैं। जिस जीव का क्लोन तैयार करना हो, उसी जीव के सारे गुण सूत्र क्लोन की कोशिका के केन्द्रक में भी होते हैं। इस प्रकार क्लोन में आनुवांशिकी के वे सारे गुण मौजूद होते हैं जो उसके डोनर पेरेन्ट (Doner Parent) नर या मादा के होते हैं। क्लोनिंग की प्रक्रिया वस्तुत: अलैंगिक (Asexual) प्रजनन की प्रक्रिया है क्योंकि इसमें नर या मादा किसी एक की कोशिका के केन्द्रक से ही जीव पैदा होता है. इस प्रकार पैदा हुए जीव या जीवों का समूह ही क्लोन कहलाता है तथा वह प्रकिया जिससे क्लोन तैयार होते हैं क्लोनिंग कहलाती है। पशुओं में क्लोनिंग पशुओं में क्लोनिंग वनस्पतियों (पौधों) में क्लोनिंग के मुकाबले एक क्लिष्ट प्रक्रिया है क्योंकि पौधों की कोशिकाओं का ढ़ांचा अपेक्षाकृत सरल होता है। कई नवजात पौधों * प्रबन्धक - भारतीय तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम। निवास - बी- 26, सूर्यनारायण सोसायटी, विसत पेट्रोल पम्प के सामने, साबरमती, अहमदाबाद -5
SR No.526543
Book TitleArhat Vachan 1999 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year1999
Total Pages88
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy