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शाखा में आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने अनेक कवियों का उल्लेख किया है, उन कवियों के काव्य एवं दर्शन की उपलब्धियों का विद्यासागर जी ने किस प्रकार नवीनीकरण किया है
और उन्हें किस प्रकार प्रासंगिक बनाया है, शोध का यह भी एक विषय हो सकता है फिर विद्यासागर जी का अनुवाद कार्य है, उनकी काव्य भाषा का स्वरूप है, उनके काव्य में परंपरा और आधुनिकता की अन्तक्रिया है। डा. बारेलाल जैन ने एक दीर्घ फलक पर प्रस्तुत शोध प्रबन्ध में आचार्य विद्यासागर जी के कृतित्व का आंकलन किया है। वास्तव में उनका यह प्रयास सर्व धर्म समभाव की प्रतिष्ठा की दिशा में एक उल्लेखनीय प्रयास है। जैन धर्म के जो आदर्श हैं, वे ही इस्लाम के हैं, ईसाई धर्म के हैं, बौद्ध धर्म के हैं, हिन्दू धर्म के हैं। वास्तव में सच्चा धार्मिक व्यक्ति किसी एक धर्म का नहीं होता, वह सभी धर्मों का होता है। धर्म की व्यापक व्यवस्था से ही यह संभव हो सकता है। विद्यासागरजी महाराज किसी एक धर्म के नहीं हैं, वे भी धर्मों के हैं, किसी धर्म विशेष के अनुयाईयों का ही उन पर अधिकार नहीं है, सभी धर्मानुरागियों को उनके व्यक्तित्व और कृतित्व से प्रेरणा मिलती है। डा. जैन ने आचार्य विद्यासागर को एक ऐसे विशाल वृक्ष के रूप में प्रदर्शित, विश्लेषित और विवेचित किया है जिसकी छाया सघन है और जिसकी जड़े बहुत गहरी हैं।
जो आचार्य विद्यासागर जी को जानते हैं, वे इस ग्रन्थ के द्वारा उन्हें अधिक हार्दिकता से जानने में सफल होंगे और जो उन्हें नहीं जानते वे इससे उन्हें जानने को लालायित होंगे। यह ग्रन्थ संत साहित्य के अध्येताओं को एक अभिनव दृष्टि प्रदान करेगा और अपने समय को समझने का एक सार्थक दृष्टिकोण होगा।
डा. बारेलाल जैन ने जितनी लगन से प्रस्तुत शोध ग्रन्थ का प्रणयन किया है, उतनी ही निष्ठा से निर्ग्रन्थ साहित्य प्रकाशन समिति ने उसका प्रकाशन भी किया है। 254 पृष्ठों की इस सुरूचिपूर्ण मुद्रित पुस्तक का मूल्य बहुत ही कम है मात्र पैंतालीस रूपये, जन - जन तक पहुंचने की आचार्य प्रवर की आकांक्षा के अनुरूप। . . प्राप्त - 1.1.99
अहिंसा इन्टरनेशनल के 1998 के वार्षिक पुरस्कार 1. अहिंसा इन्टरनेशनल डिप्टीमल आदीश्वरलाल जैन साहित्य पुरस्कार (रु. 31,000/-)
- डॉ. देवेन्द्रकुमार जैन शास्त्री, नीमच। 2. अहिंसा इन्टरनेशनल भगवानदास शोभालाल जैन विशेष शाकाहार पुरस्कार (रु. 15,000/-)
- डॉ. नेमीचन्द जैन, इन्दौर। 3. अहिंसा इन्टरनेशनल भगवानदास शोभालाल जैन शाकाहार पुरस्कार (रु. 11,000/-)
- श्री सुरेशचन्द जैन, जबलपुर। 4. अहिंसा इन्टरनेशनल रघुवीरसिंह जैन जीवरक्षा पुरस्कार (रु. 11,000/-)
- श्री मोहम्मद शफीक खान, सागर। 5. अहिंसा इन्टरनेशनल गोल्डन जुबली फाउण्डेशन पत्रकारिता पुरस्कार (रु. 5,100/-) - डॉ. नीलम जैन, सहारनपुर।
सभी विजेताओं को कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ की हार्दिक बधाइयाँ।
अर्हत् वचन, अप्रैल 99