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________________ टिप्पणी-4 अर्हत् वचन कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर भगवान ऋषभदेव की निर्वाण स्थली - आदित्य जैन * आदिनाथ आध्यात्मिक अहिंसा फाउण्डेशन, बद्रीनाथ / इन्दौर द्वारा बद्रीनाथ में भगवान ऋषभदेव की निर्वाणस्थली विकसित की गई है। मुझे अनेक मित्रों ने व्यक्तिगत चर्चाओं एवं पत्रों में बताया कि यह वास्तविक निर्वाण स्थली नहीं है एवं वास्तविक निर्वाण स्थली की उपेक्षा तथा विस्मृत करना ठीक नहीं है। मैंने फाउण्डेशन के पदाधिकारियों से चर्चा की तो उन्होंने भी स्वीकार किया कि हमने बद्रीनाथजी में निर्वाण स्थली का विकास प्रतीक रूप में किया है। वास्तविक निर्वाण स्थली कहाँ है? क्या वहाँ अभी भी कुछ प्राचीन अवशेष या मन्दिर हैं? इस बारे में पदाधिकारियों ने कोई उत्तर नहीं दिया। फलत: मैं सन्दर्भ हेतु अपने पास उपलब्ध मित्रों के पत्रों के अंशों एवं तथ्यों को यहाँ संकलित कर रहा हूँ। _ शांतिलाल जैन (शांतिलाल ज्वेलर्स, बम्बई) ने अपने पत्र दि. 21.7.98 में लिखा है कि हमने 1996 में कैलाश मानसरोवर की. यात्रा की थी। अष्टापद पर्वत के नीचे जो मन्दिर है जिसे आजकल बुद्ध मन्दिर में बदल दिया गया है, उस मन्दिर में 1 + 3 देवलियाँ हैं। ये देवलियाँ वैसी ही हैं जैसी हमारे पुराने मन्दिरों में होती थीं। पुराने मन्दिरों में पहले भगवान श्री के पगलिये होते थे, उसे तो लोगों ने मिट्टी से भर दिया है, सो पगलियों का तो पता ही नहीं चलता है, परन्तु ऊपर का आकार देवलियों जैसा ही है। मन्दिर में अन्दर तो सब कुछ बदल चुका है अत: वहाँ तो जैन मन्दिर के प्रमाण नहीं मिलेंगे किन्तु बाहर से स्पष्ट प्रतीत होता है। श्री भंवरलाल सिंघवी (श्योगंज, सिरोही) लिखते हैं कि - "कैलाश परिक्रमा में हमारा लास्ट केम्प ताइचेन (Taichen) में लगता है, वहाँ से पैदल कैलाश पर्वत की परिक्रमा होती है और यह परिक्रमा 30 कि.मी. की होती है, बहुत पर्वत होते हैं, उसमें अष्टापद पर्वत भी होता है जिसकी परिक्रमा होती है। वहाँ हमारे गाइड ने अष्टापद पर्वत की बात की व रास्ता बताया और पर्वत की तलहटी पर बौद्ध गेम्पा (मन्दिर) है उसका नाम बताया तो हम परिक्रमा बीच में ही रोक कर अष्टापद के लिये निकल पड़े। ठीक कैलाश के पास एक पहाड़ पर ताइचेन से 4 घंटे चढ़ाई के बाद एक और पहाड़ दिखता है जिस पर चढ़ना असंभव जैसा है, उस पहाड़ पर 8 सीढ़ी (Steps) हैं और अन्त में शिखर जैसा है। तलेटी पर बौद्ध गोम्पा व एक गुफा है। जैन दर्शन जैसे कोई निशान नहीं मिले, पर अगर इस तरफ अष्टापद रहा हो तो यही होना चाहिये, ऐसा हमारा अनुमान लगता है। 1 नं. फोटो उस जगह से लिया हुआ है, किन्तु जहाँ से कैलाश दिखता है और 3 स्टेप और शिखर दिखते हैं, नजदीक जाने पर कैलाश पीछे रह जाता है और दिखना बन्द हो जाता है।" बैंगलोर से श्री किशोर जैन लिकते हैं - "मैं दो वर्ष पहले मानसरोवर की यात्रा पर गया था। जब हम कैलाश के Base Camp पर पहुँचे तो हमारा तिब्बती - चीनी मार्गदर्शक हमारे नामों के पीछे 'जैन' देखकर हमारे पास आया और बोला कि उसके पिता - दादा - परदादा कहते आये हैं कि वहाँ से 33 घंटे पैदल चढ़ाई के बाद जो पहाड़ है वह 'अष्टापद' है और वहाँ से जैनों के एक भगवान को निर्वाण प्राप्त हुआ है। वहरं पर एक गुफा अर्हत् वचन, अप्रैल 99 67
SR No.526542
Book TitleArhat Vachan 1999 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year1999
Total Pages92
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size23 MB
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