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dl०८-४-33
પ્રબુદ્ધ જૈન.
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भगवान महावीर और युवकों का कर्तव्य. ले.पंडित दरबारीलालजी न्यायतीर्थ.
भगवान महावीर का जीवन एक महान् क्रान्तिकारी का समयसें भी बुरे रुपमें खडी हे. आज साधु समाजकी अव्यवस्था जीवन है. भगवान की क्रान्ति सफळ हुइ, क्यों की वे तीर्थंकर उस समयसें कइ गुणी अधिक है. वे भगवान महावीर के थे अथवा ये कहना चाहिए की वे तीथकर थे इस लीये नामपर हो मंगवान महावीरके आदर्श जीवनर्को सक्रिय उनकी क्रान्ति सफळ हुइ. प्रत्येक तीर्थकर का जीवन एक तिरस्कार करते हे. आज वर्ग युद्धके साथ ही वर्गोकी संख्या महान क्रान्तिकारी का जीवन होता है, अगर हम तीर्थंकर के अगणीत हो गइ है, युद्धके कारणोकी संख्या बी वड गइ है, उपासक हैं तो इसका अर्थ यह हुवा कि हम एक महान वैधव्यकी ओडमें स्त्रीओपर अत्याचार हो रहे है इसी लीये क्रान्तिकारी के उपासक हैं. इसीलीये हमे क्रान्तिका सदा स्वागत यह आवश्यक हे की हममेंसे कोइ महावीर बने, यदि नहि, करना चाहिए, भर जवानीमें भगवान महावीरने क्रान्तिका बीडा संमव नहीं है तो युवकोंको भगवान महावीरके जीवनका उठाया, और इसीकेलीये उननें गृह त्याग कीया. बारा वर्ष अनुकरण करना चाहीयें, एक व्यक्ति आज महावीरका कार्य तपश्चर्या करके उनमें सफळता प्राप्त की, भगवानके युवाव- नहीं कर सकती तो हम सब मीलकर अवश्य हो वह कार्य स्थाके अदम्य उत्साहके सामने संसारके विनों और प्रलो- कर सकते हैं 'संघे शक्तिः कलौ युगे' अर्थात् कलिकालमें भनोंने शीर झुका दीये. भगवानकी विजय हुइ. इसीसे वे जिन शक्ति संघमें होती हे, आज इश्वरता और दिव्यता संघमें कहलाइ. भगवान महावीर भगवान पार्श्वनाथके अनुयायी थे, अवश्य होती हे, युवको ! समय आ गया हे उठो! काम इतने पर भी उननें भगवान पार्श्वनाथके तीर्थके नोयमोको पडा हे. संगठित बनो, निर्भय बनो, बिचारक बनो. सत्यके बदल दीया. क्योंकी उस समय क्रान्तिकी आवश्यकता थी. लीये मर मीहनेकी शक्ति पैदा करों अर्थात सब मिलकर खूब शिथिलाचार बढ गया था. अनेकांत को लोग भूल महावीर बनो. यही महावीर जयंतिका मनाना हे यह मगवान
महावीरकी सच्ची पूजा है। गये थे, उसकी जगह पर एकांत स्थापनकर रहा था, संघकी
પંદર વર્ષે પ્રવી કાઉન્સીલના ચુકાદાથી व्याख्या भष्टप्रायः हो गइ थी, श्रावक और साधुओंका संबंध
. सावट मत. सम , ता. २ तट गया था. स्त्रीयोकी कोई आवाज नहीं थी, वगं युद्ध
र मत समेत शिनी Melat भयानक अट्टहास्य पर पहोंच गया था. चारोतरफ अन्याय, पारस-नायनी 2 रीना समां ताग२ भने हाम२ अत्याचार और अशान्तिका साम्राज्य था. इस अंधकार के ना ये रे घडे! यात तो तेन त ५४२ वर्ष भीतर हम जीस ज्योतिर्मय मूर्तिका दर्शन करते हय वह सुधा ही नही मिा १८या पछी श्रीमी सीमा
વેતામ્બર જૈનના લાભમાં આવ્યા છે. भगवान महावीरको मूर्ति थी उसके प्रकाशसें सब चमक उठे..
- બંગાળમાં આવેલી પારસનાથની ટેકરી પાલગંજના મહા____ भगवानने शिथिलाचारको रोक कर साधुओंको सच्चा नी भारत ती. सनेप्तीमा ती. हीरा साधु बनाया. साधु संघकी सुव्यवस्था के साथ साध्वी तेजावी नागना ते मतना इ. गवनी भा२संघ, श्रावक संघ, श्राविका संघ की रचना की. स्त्रीयों और
=ફતે કાયમી પટે લીધી હતી. આ સામે કવેતામ્બર જૈનોએ તે
વખતના વાઈસરોયને અરજ કરી હતી અને તેમણે ઠેરવ્યું शुद्रोंको मनुष्यत्वके अधिकार दीये. वर्ग युद्धको हठाया, इस
હતું કે લેફ. ગવર્નરને ટેકરી કાયમી ભાડે આપવાની સત્તા ન प्रकार नवयुग ला दीया.
હતી. અને પ્રથમ હક્ક “વેતામ્બર જેનોને હતે. આથી ढाइ हजार वर्ष बीत गये अनेक संस्कृतियां पैदा हुइ. વેતાબાએ એ ટેકરી પાસગંજના મહારાજાના વહીવટદાર और नष्ट हो गइ. किन्तु वे अपनी कुछ न कुछ असर छोड
પાસેથી રૂ. સાડા ત્રણ લાખમાં વેચાતી લીધી હતી. પાછળથી
એ વેચાણ ખત રદ કરવાને પાવાગ જ મહારાજાએ હજારી गह काल के इन प्रबळ परमाणुओने कहींकी चीज को कहाँ
महापोयत। परन्तु मे हवा २६ उया कर दीया. इस लीये यह मंजुर नहीं था की भगवान महा- ते। मने या यम २१ यु तुं 240 ५२ ५८।। - वीर के द्वारा प्रज्वलीत की हइ कान्तिपर इसका कुछ प्रभावमा पास ४२वाभा मारतात २६ गती . ते पछी श्रीपी न पडता, वह पडा. और ढाइ हजार वर्षके उत्थान पतन
કાઉન્સીલમાં અપીલ કરવામાં આવી હતી અને બ્રી. કાઉન્સીલે
હમણાં જ ચુકાદો આપી હાઈ કોર્ટને ચુકાદ કાયમ રાખ્યો के बाद हम इस परिस्थितिमें आ गये हैं की भगवान महा
पहा मगवान महा- सरोवतारनामे परीक्षा 206५२ तमना वीर के द्वारा प्रज्वलित की गइ क्रान्तिका स्फुलंग लेकर फिर * अयम २यो छ भने वयाय २६ य श नथा. क्रान्तिकी धूम मचाकर यौवनका परिचय दें.
. उसने युहे। पी-दुस्तानना श्वेताम्म बनाना जीन विकट समस्यायोंको पूर्ण करने के लीये भगवा
- અગત્યનો છે. કેસમાં પ્રતીવાદી તરીકે અત્રેની આણંદજી
કલ્યાણજીની પેઢીના શેઠ કસ્તુરભાઇ મણીભાઈ હતા, અને नने क्रान्तिका बीडा उठाया वे अबभी खडी है और उस पयाले सुधी उसने ५२ वर्ष यां .