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तto.१-४-33
પ્રબુદ્ધ જૈન
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उनकी जाति बाडा बंदीसें बंद करे तो उसे अपनी जातिमें ३. स्थान दिया जाय । जाति के चंद वस्तुस्थिति के अभ्यासियों
ने इस मर्जकी यही दवा बताई है। संकुचित वैवाहिक क्षेत्र. . क्या कारण है, जब पिछले दस वर्ष में भारत की जन विसा हुमड युवक मंडल की 'हम क्या चाहते है' नामक संख्या ३३. करोड से ३५ करोड हो गई, तब जैनों की संख्या.. पात्रका मने पडी है और उसपर गंभिरता से विचार किया है. विसा १२. लाख. स. ११.: ला रह गई ? जन समाज नानाविध हुमड़ जाति की वर्तमान परिस्थिति के साथ तुलना करते मेरा पेटा जातिय में छिन्नभिन्न है, और जाति-वाडा-बंदी समाज :
अभिप्राय है कि परिस्थिति का सामना करने के लिये पत्रिका
कारगार है। के हास का मुख्य कारण है। जन धर्म अंगीकार करने वालों कारण का जैन जातियों में स्थान न देने के सिवाए जैन अंतर-जाति ... अत में तमाम जैन बन्धुओं से अपील करता हूं कि विवाह की मनाई भी हास के कारणों में एक प्रबल कारण यह दशा केवल विसा हुमट जाति की ही है ऐसा न माने है। यही जहब है जो कन्या-विक्रय और बाल-विवाह जैसी .. सारे जन समाज की यही दशा है और सबके लिये वैवाहिक निंदनिय और नाशकर प्रथाएं प्रचलित है। "मेरी चर्चा का . क्षेत्र, जितना अधिक विस्तीर्ण होगा इतनी ही अधिक सुविधा विषयः कन्या-विक्रय है. और वह . जन समाज की अंगरुप वर कन्या की पसंदगी के लीये प्राप्त होगी। संबन्ध इसी प्रकार विसा, हुमड जाति के संबन्ध में है। .. ! ..
जोड ने ओर परिस्थीती का सामना करने के लिये तैयार इस प्रथा से सारी इजत, सारी प्रतिष्ठा का नाश हो
रहना चाहिये।
'लेअभ्यासी। गया है और धर्मका मानना ढोंग बन गया है। विसा. हुमट जैन
. वडा नमआन्दोलन जारी रहते भी इस जाति में केवल प.ताबगंड में प्रयुध मा विश्वासु समर५त्री बने ही मात्र दो महीने के अन्दर कन्या-विक्रय के चार बनाव संभायार. सपनारा सेवा भावी युबळी, बनजाना एक शर्म का विपन है और इसकी गंभिरता इस
पाष्ट४ सापवाभा मावश. .... कारण अधिक भयानक नजर आती.ह कि यह मामला
.:. . . . . ."
समे.. . के उन आगेवानों के लिये हुवे है जो आबरुदार सदगृहस्थों
- વ્યવસ્થાપક પ્રબુદ્ધ જૈન, की श्रेणी में गीने ज.ते है. आर धार्मीक विषयों में अच्छा - दखल रखते है। मेरा इरादा इस दुखकर विषष की चीयां लगवान महावीरता भां भाल्या में उतर कर किसी का दिल दुखाने का नहीं है, वरन् म नाच्याती पसर्ग : थयों इसके कारणों को बताते हुये दिखाना चाहता हूं कि आखिर ।
ना ते पवित्र ये बनाव क्यों बनते हैं ? · ..
. पूनित तीर्थ . क्षेत्र की संकुचितता के कारण समाज के आगेवान दूर . . . . श्री साभावामा दर्शी ५-७ वर्ष के बच्चों का गठजोडा सगाइ से करदेना... आवश्यक समझते है और इसका कारण योग्य पर नहीं .......भवान.सेयता! .. . मिलने का बताया जाता है, दुसरी पंक्तो के चे आगवान है जो अयोग्य बालकोका गठजोडा कन्या विक्रयसे करते है, ! यात्रा मावशे. थैत्री सोही विधि कितनेक ऐसे युवानों के लिये लडकियों की कभी है जो . विधान पूर्व अपनी जबाबदारी समजे हुवे बशर ओकात. की शक्ति रखते
पाशे या यात्म याराना
.... है, कितनेक ऐसे है जो अपनी जरुरीयात को पूरा करने पैसा
सवमा तमन यावा देते है और लेते है।
....निमत्र छ.. . वीसा हुमड जातिकी कुल मनुप्य संख्या ३२६७ तमामप्रान्ता । से संबन्ध जारी न होने के कारण परताबडग बालों का संसार. यायाय विभय वन सरिश्वर माहि मात्र ६०७ मनुष्यों में समाजाता है। क्षेत्र विस्तीर्ण करने के 'लिये आगवानीन प्रयास नहीं किया और जीन अभ्यासियाने
I મુનિઓના દર્શન કરવાનો લાભ મળશે इसके लिये प्रयत्न किये उनका विरोध उन आगेवानों ने किया विमण भत्री शनी २१HिA सारत जिन्हें कठीनाई नहीं पड़ती। ऐसी · न्यून संख्यक जाति में
परिवार परिषद भणशे .. उपर बयान किये बिनाब बनना 'मामुली बात है। ..
:: इसका उपाय मात्र वैवाहिक क्षेत्र विस्तीर्ण करना है
साथ साथ और इस मकसद की पूर्तीके लिये जातिके आगेवानी द्वारा सा दूसरी जातियों के साथ शंदेश चलाने के सीवाऐ यह दराव . किया जाना आवश्यक है कि "किसी भी जन कामको खान्दान सान ५२ना उत्सवे पधारवापास कन्या के साथ विवाह किया जा सके और देने वालों को . .... मामात्रछ. .