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श्रुतसागर
जनवरी-२०२०
अनुक्रम १. संपादकीय
रामप्रकाश झा २. गुरुवाणी
आचार्य श्री बुद्धिसागरसूरिजी ३. Awakening
Acharya Padmasagarsuri ४. पार्श्वनाथ प्रभुना बे अप्रगट स्तवनो गणि सुयशचंद्रविजयजी ५. अवंतिसुकुमाल सज्झाय साध्वी दर्शननिधिश्रीजी ६. माणसभव उत्पत्ति भास जिज्ञाबेन शाह ७. स्तुति-स्तोत्रादि-साहित्यमां क्रमिक परिवर्तन
मुनिश्री पुण्यविजयजी ८. प्राचीन पाण्डुलिपियों की संरक्षण विधि
राहुल आर. त्रिवेदी ९. पुस्तक समीक्षा
राहुल आर. त्रिवेदी १०. समाचार सार
तप करता जोवन गयौ, लखमी गई पुन्यदान । काया गई वइराग मै, जीव तीनूं गया मत जाण ॥
प्रत क्र. १२८०३२ भावार्थ- जवानी तप करने में गई हो, पैसे दान-पुण्य में गए हों और देह वैराग्य में गया हो तो हे जीव ! इन तीनों को गया मत समझना।
* प्राप्तिस्थान * आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर तीन बंगला, टोलकनगर, होटल हेरीटेज़ की गली में
डॉ. प्रणव नाणावटी क्लीनिक के पास, पालडी अहमदाबाद - ३८०००७, फोन नं. (०७९) २६५८२३५५
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