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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर दिसम्बर-२०१९ गुरुवाणी ___ आचार्य श्री बुद्धिसागरसूरिजी जैनदृष्टिए आत्मानुं अनन्त वर्तुल मनुष्य जेम जेम ज्ञान संप्राप्त करतो जाय छे, तेम तेम ते संकुचित विचार अने आचारना वर्तुलने अनुक्रमे महान् करतो जाय छ। कोइ एक नयनी अपेक्षाए विचार करीए तो मनुष्य पोताना विचारो अने आचारोजेवडो छ । पोताना विचारो अने आचारना वर्तुलमां प्रत्येक मनुष्य रहे छे, अने तेनाथी भिन्न विचाराचार वर्तुलने तिरस्कारे छे वा असत्यादि वडे संबोधे छ । मनुष्य जेम जेम आसपासनां विचार अने आचारनां वर्तुलो देखीने तेओने सापेक्ष ज्ञाननयदृष्टिए आत्मामां समावतो समावतो आगळ वधे छे, तेम तेम ते ब्रह्मज्ञान दृष्टिए मति, श्रुत, अवधि, मनःपर्यवज्ञान, अने छेवटे केवलज्ञानने प्राप्त करीने लोकालोकने पोताना केवलज्ञानमा समावीने सर्वव्यापक वर्तुलत्वने प्राप्त करी शके छे । सारांश के-ते केवलज्ञानमां लोकालोक सर्व ज्ञेय पदार्थोने पोतानामा समावी शके छे। मिथ्यात्व-राग-द्वेषादिनो जेम जेम क्षय थतो जाय छे, तेम तेम आत्मामां ज्ञाननो आविर्भाव थतो जाय छे, रागादिना उपशमादिभावे जेम जेम ज्ञानवर्तुल महान् थतुं जाय छे, तेम तेम ते ज्ञेयपदार्थोनी सत्यविचारणाओमा आगळ वधतो जाय छे, अने ते पूर्वना दृढ थएल घणा कदाग्रहोथी मुक्त थतो जाय छे। आवी स्थितिमां ज्ञानी आत्मा अनुभव करीने कथे छे के, पूर्वना करतां हं विचारमा आगळ वध्यो छं।आवी रीते ज्ञानरूप वर्तुलमा आगळ वधनार आत्मा अन्य अनेक सापेक्ष नयवाळा विचारोमां आगळ वधवाने अधिकारी थतो जाय छे, अने ते रागादिनी उपशमता आदिनी योग्यताए ज्ञानरूप वर्तुलमा आगळ वधतो जाय छे । आवी स्थिति प्राप्त करवाने माटे सत्समागम, सद्ग्रन्थवाचन अने अनुभवज्ञान ए त्रण असरकारक उपायो छे । आत्मा पर माया, प्रकृति याने कर्मावरण होवाथी जे जे अंशे रागद्वेषादि क्षये आत्मज्ञान विकसतुं जाय छे, ते ते अंशे ज्ञानरूप वर्तुलनी अपेक्षाए आत्मा पण एवडो गणाय छे। अनन्त जीवो छ । सर्व जीवोने ज्ञानावरणीयादि कर्मावरणो लागेलां छे । ते जे जे अंशे टळे छे ते ते अंशे ज्ञानादि वर्तुलोर्नु पृथुत्व सर्व जीवोमां षड्गुण हानिवृद्धिरूपे परिणमतुं जाय छे। सापेक्ष ज्ञान दृष्टिमान् जीव आ प्रमाणे अवबोधीने ते अनन्त ज्ञानरूप वर्तुलनो प्रकाश करवा प्रवर्ते छे। क्रमशः धार्मिक गद्य संग्रह भाग - १, पृष्ठ - ६८० For Private and Personal Use Only
SR No.525353
Book TitleShrutsagar 2019 12 Volume 06 Issue 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2019
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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