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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR December-2019 19 भीमविजयगणिरास कासार श्रीयुत भंवरलालजी नाहटा जैन ऐतिहासिक राससाहित्य अत्यन्त विशाल है और आए दिन नित्य नये-नये ऐतिहासिक रास उपलब्ध होते हैं। कुछ वर्ष पूर्व उनके प्रकाशन का प्रयत्न हुआ, पर उसका यथोचित आदर एवं प्रचार न होने से वह कार्य आगे नहीं बढ़ सका । वास्तव में जैन समाज की इतिहास की ओर बहुत ही कम अभिरुचि प्रतीत होती है। __ इतिहास की उपयोगिता निर्विवाद है। हमारा जीवन, प्राचीन संस्कृति और इतिहास से अनुमानित होता रहता है। प्राचीन के आधार से नवीनता की सृष्टि होती रहती है। प्राचीन गौरव मानव को उन्नत बनाने में बहुत कुछ प्रेरणा देता है। जैन समाज की वर्तमान स्थिति बहुत ही सोचनीय है, पर वह अपने उज्ज्वल अतीत का आज भी अभिमान कर सकता है। जैन मुनियों ने समय-समय पर राज्याधिकारियों से मिलकर उन पर प्रभाव डालकर जैन समाज एवं संघ की विपत्तियों को दूर किया है, उन्हें अनेक प्रकार की सविधाएँ शासकों की ओर से मिलती रही हैं। १८वीं शदी के तपागच्छीय यति भीमविजय भी एक प्रभावशाली व्यक्ति थे, जिन्होंने औरंगाबाद के नवाब असतखान को ज्योतिष-वैद्यकादि के चमत्कारों से प्रभावित किया था, जिसके फलस्वरूप अनेक स्थानों के जैन उपाश्रयादि जनसंपत्ति को पुनः जैनसंघ को अधिकृत करवाया था। इनके शिष्य मुक्तिविजय ने भी नवाब से इसी प्रकार के काम निकाले थे। इस रास की ३ प्रतियाँ कलकत्ता के स्वर्गीय बाबू पूरणचन्द्रजी नाहर की गुलाबकुमारी लायब्रेरी में संग्रहित है, जिसके आधार से रास का संक्षिप्त सार दिया जाता है । इसकी रचना लालचंद्रगणि ने १०२ पद्यों में की है। रासका सार तपागच्छनायक सुप्रसिद्ध जैनाचार्य हीरविजयसूरिजी की परम्परा में भीमविजयगणि बड़े प्रतापी हए। उ० सोमविजय, उ० चारित्रविजय, पं० धर्मविजय के शिष्य पंन्यास भीमविजय थे। आप क्रियाशील, विद्वान और प्रभावशाली पुरुष थे। आपने शतुंजय, गिरनार, आबू, ऋषभदेव, मगसी, फलौधी आदि प्रमुख तीर्थों की यात्रा की थी। आप ज्योतिष, वैद्यकादि में निष्णात होने के साथ-साथ आपका शरीर का गठन बडा मजबूत और सुंदर था, आपके हृदय पर श्रीवत्स चिह्न अंकित था। श्रीपूज्य श्री विजयरत्नसूरि आपका बडा आदर करते और यतियों को चातुर्मास के आदेश का भार भी उन्होंने आपको सौंप दिया। For Private and Personal Use Only
SR No.525353
Book TitleShrutsagar 2019 12 Volume 06 Issue 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2019
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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