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SHRUTSAGAR
November-2019 गुजराती बंगाळी बेय लिपि देवनागरीने अतिनिकट छ। त्रीजी कोई एटली निकट छे नहीं। हिन्दी बोलती जनतानो पथारो एटलो तो विस्तीर्ण छे के तेनो एक मोटो विभाग बंगाळीनो अने बीजो मोटो विभाग गुजरातीनो शाखपाडोशी छे। भले पूर्व विभागमां वाचनमालामां बंगाळी लिपिने स्थान मळे, बीजामां गुजरातीने।
तथापि आटलेथी विषयनी समाप्ति थती नथी। हजी मोटामां मोटी व्यवहारु बाबत तो रही जाय छ । भाषाशास्त्रनी दृष्टिए हिन्दी-ऊर्दु एक ज भाषा छे, बे नथी, ए साच उपर रजू थई गयु छ । भाषा एक लिपि बे कोईपण विषयने लखतां बोलतां अगत्यना शब्दो माटे संस्कृत तत्सम-तदभवो उपर वधारे आधार राखे हिंदी गणाय, तेम फारसी, अरबी तत्सम तद्भवो वधारे वापरे ते उर्दु गणाय, एवी आ हिन्दी-ऊर्दु भाषानी द्वैमातृक स्थिति छ।
हिन्दी-ऊर्दु भाषाप्रदेशनी अनेककोटि प्रजामां ज एकता नथी। कुटुम्ब एक माताओ बे, ए बे वच्चेनो एखलास सपत्नीओनो। हिन्दी बोलता लखता भाईओ अने ऊर्दु बोलता लखता भाईओ सगा भाईओ छे नहीं, वगेरे, वगेरे। आवा संकर जथानी साथे ऐक्य जमावटनी भावनाने रमाडतां खिलवतां, एकली हिन्दी भाषा अने एकली देवनागरी लिपिनी वातो करवी, ए म्हारा जेवाथी नहीं बने । हुं संस्कृत कंईक जाणुं छु । ऊर्दु कंईक शीखेलो, ते वर्षोथी भूली गयो छु।
हिन्दी वाचन अने हिन्दी बोली म्हने मराठी जेटलां ज साध्य छे, बंने प्रदेशमां वर्षो गाळेलां एटले अनायासे अने बंगाळी कंईक शीखेलो छु । भाषा छे साहित्य माटे, अने साहित्य वडे, जेम मनुष्यजीवन सार्थक छे मोक्षभावनाना प्रकाशे प्रकाशित होय एटलं, ए दृष्टिबिंदु उपर आवी गयु छ । ____बंगाळी साहित्य माटे म्हने मान छ । मराठी के हिन्दी साहित्य माटे म्हने तेटलुं नथी। गुजराती साहित्य करतां बंगाळी गुणवत्ताए चडे, ए स्वीकारुं छु। पण हिन्दी के मराठी साहित्य गुणवत्ताए चडे, एम म्हने तो नथी देखातुं । ए बेना करतां तो ऊर्दु साहित्यमां केटलीक विशिष्ट गुणवत्ता होवानो संभव स्वीकारुं छु ।
(क्रमशः)
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