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November-2019 कोष्ठक में प्रस्तुत कृति के अनुसार भव दर्शाये गये हैं। कृति में जहाँ मात्र देव लिखा हो उस हेतु हमने मात्र 'देव' न देकर त्रिषष्टि के अनुसार देवलोक का नाम भी दिया है।
२४ जिन १३८ भव कोष्ठक
क्रम
भवनाम
२४ जिन नाम | भव |
संख्या १ आदिनाथ
| १धन्न सार्थवाह २ युगलिक ३ सौधर्म देवलोक में देव ४ महाबल विद्याधर राजा ५ ईसान देवलोके ललितांग देव ६ वज्रजंघ ७ युगलिक ८ सौधर्मकल्पे देव ९ जीवानंद वैद्य १० अच्युत देवलोके देव ११ वज्रनाभ चक्रवर्ति १२
सर्वार्थसिद्धि विमान में देव १३ तीर्थंकर आदिनाथ | २ | अजितनाथ ३ १ विमलवाहन राजा', २ विजय अनुत्तर
| विमान में देव, ३ तीर्थंकर अजितनाथ ३ | सम्भवनाथ
|१ विपुलवाहन राजा, २ सातवें अवेयक में
| देव, ३ तीर्थंकर संभवनाथ | ४ | अभिनन्दनस्वामी | १ महाबल राजा, २ विजय अनुत्तर विमान में |
| देव, ३ तीर्थंकर अभिनंदनस्वामी ५ |सुमतिनाथ
|१ राजकुमार पुरुषसिंह, २ वैजयन्त अनुत्तर
| विमान में देव', ३ तीर्थंकर सुमतिनाथ ६ | पद्मप्रभस्वामी | १ अपराजित राजा, २ नौवे ग्रैवेयक में देव,
|३ तीर्थंकर पद्मप्रभस्वामी ७ सुपार्श्वनाथ ३ १ नंदीषेण राजा, २ छटे सुमन ग्रैवेयक में|
देव, ३ तीर्थंकर सुपार्श्वनाथ | ८ | चन्द्रप्रभस्वामी | १ श्रीब्रह्म राजा, २ सौधर्म देवलोक में देव,
३ अजितसेन चक्रवर्त्ति ४ अच्युत देवलोक में 1. सोमतिलकसूरि रचित सप्ततिशतस्थानक ग्रंथे- ‘विपुलबल’ नाम। 2. सप्ततिशतस्थानक ग्रंथे- जयन्त विमान। 3. सप्ततिशतस्थानक ग्रंथे- ‘अतिबल' नाम। 4. सप्ततिशतस्थानक ग्रंथे- जयन्त विमान।
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