SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 9
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR September-2019 नथी। उत्तरोत्तर आ वर्षमां धर्मप्रवृत्ति करतां कंईक विशेषकाल अंतरमा ध्यानादिनी निवृत्तिथी गयो। पेथापुरमा चोमासु रहेतां आत्मसमाधिमां विशेषकाल गयो। धर्मप्रवृत्ति करतां धर्मनिवृत्तिनुं जीवन हवे वृद्धि पामे छे अने आत्मसमाधिमां विशेष जीवन व्यतीत करवानी प्रबळ स्फुरणा थया करे छ । संवत १९६०-६१-६२नी पेठे आ सालमां योगसमाधिमां विशेष रहेवायु। सर्व जीवोनी साथे आत्मैक्यभावनानी अने मैत्रीभावनानी वृद्धि थया करे छे एम अनुभव आवे छे । ईडर, देशोत्तर, वडाली, खेडब्रह्मा, कुंभारिया, आबुजी, मंडार, सिद्धपुर वगेरे स्थळे आत्मध्यान धरतां अंतरमां सहजानंदनो, पूर्व सालो करतां, विशेष प्रकारे अनुभव थयो। सरस्वती नदीना कांठानो निर्जन प्रदेश खरेखर बाह्यसमाधिए अंतरमा विशेष सहज समाधि करावनारो अनुभवायो । वैशाख वदि १०, पेथापुरमा प्रवेश थयो । रूदनचोतरा तरफना टेकरा उपर अने आघां कोतरोमां विशेष स्थिरताए आत्मध्यानमा मस्त थवायु । आत्मानी अनुभव खुमारीमा विशेषतः मस्तदशा अनुभवाय छ। आत्मज्ञान-ध्याननी परिपक्वतामा वृद्धि थया करे छे एवो अनुभव आवे छे। हवे विशेषतः निवृत्तिरूप ज्ञानध्यानरमणतामां करवानी खास स्फुरणा उठे छे, अने तेमां विशेष प्रवृत्त कराय छे । छ मासथी झीणा ज्वरयोगे धार्मिक लेखनप्रवृत्तिमां मंदता थाय छे । तथापि कंई कंई प्रवृत्ति थया करे छ। उपशम, क्षयोपशमभावनी आत्मिक दिवाळीनी ज्योतिनुं ध्यान अने तेनो अनुभव-स्वाद आव्या करे छे । नवीन वर्षमां आत्मगुणोनी विशेष खिलवणी थाओ। ॐ शांति।" सन्निष्ठ अने लोकप्रिय योगीनी बाह्यप्रवृत्ति तरफ विरक्ति अने आंतरिक साधनाने लगता संकल्पो अने उच्चाशयोनुं अहीं दर्शन थाय छे। गुजराती साहित्यमां लेखको, राजकीय नेताओने समाज सेवकोए रोजनीशीओ लखी छे, परंतु धार्मिक नेताओ अने योगीसंन्यासीओए एवी नोंधो राखी होय एवं खास प्रकाशमां आव्यु नथी। कदाच ए प्रकारनी घणी नोंधो ए महानुभावोना खानगी आत्मगत उद्गारोरूपे लखाई होय तो पण ए काळना उदरमां स्वाहा थई गई होवानो संभव छ। आचार्यश्री बुद्धिसागरसूरिजीनी रोजनीशीओनु पण एम ज थयु लागे छे। परंतु एमांथी बचेली एक वर्षनी आ नोंध एक योगीना आंतरजीवनमां डोकियु करवानी तक आपे छे ने तेमना देशाटन तेम ज आंतरविकास दर्शावता आध्यात्मिक प्रवासनी झांखी करावीने जिज्ञासुने ए दिशामां आगळ जवानी प्रेरणा आपे छे ते दृष्टिए पण तेनुं मूल्य घणु छ। For Private and Personal Use Only
SR No.525350
Book TitleShrutsagar 2019 09 Volume 06 Issue 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2019
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy