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श्रुतसागर
सितम्बर-२०१९
अनुक्रम १. संपादकीय
रामप्रकाश झा २. गुरुवाणी
आचार्य श्री बुद्धिसागरसूरिजी 3. Awakening
Acharya Padmasagarsuri ४. ज्ञानसागरना तीरे तीरे
डॉ. कुमारपाल देसाई ५. अप्रगट त्रण लघु गुरुगुण स्वाध्याय गणि सुयशचंद्रविजयजी ६. २० स्थानकतप सज्झाय साध्वी काव्यनिधिश्रीजी ७. गुजराती माटे देवनागरी लिपि के
हिन्दी माटे गुजराती लिपि हिन्दवी ८. श्रुतसेवा के क्षेत्र में आचार्य
श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर का योगदान
राहुल आर. त्रिवेदी ९. पुस्तक समीक्षा
डॉ. हेमन्तकुमार १०. समाचार सार
प्राण पुत्र दोन्यु बडे, जग में चतुर सुजान। सो दशरथ दोन्युं तजे, कुनि बचन न दीजो जान ॥
प्रत क्र.५४२९६ भावार्थ- इस संसार में चतुर और ज्ञानी व्यक्ति के लिए प्राण और पुत्र दोनों ही प्रिय हैं, परन्तु राजा दशरथ को दोनों का ही त्याग करना पड़ा। अतः बिना L सोचे समझे किसी को वचन नहीं देना चाहिए।
* प्राप्तिस्थान * आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर तीन बंगला, टोलकनगर, होटल हेरीटेज़ की गली में
डॉ. प्रणव नाणावटी क्लीनिक के पास, पालडी अहमदाबाद - ३८०००७, फोन नं. (०७९) २६५८२३५५
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