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___July-2019 काव्यो पण मळे छे। ज्यारे ‘साबरमतीमांथी ग्राह्यशिक्षण, 'आत्मानी तृष्णा प्रति उक्ति, 'शुद्ध चेतना सतीनी आत्मस्वामी प्रति उक्ति' जेवां आध्यात्मिक भावनाओने अनुलक्षीने थयेलां काव्यसर्जनोय सांपडे छ । एमनी पासे शीघ्रकवित्व होवाथी केटलाक पत्रोना प्रत्युत्तर तेओए पद्यमय आप्या हता। एमणे वि. सं. १९७१ना भादरवा वद एकमे 'अहीं झट मेघ वर्षावो' नामर्नु काव्य लख्युं अने कवि कहे छे के, “आ काव्य कर्या बाद भादरवामां वर्षा थई अने तेथी गुजरातमां दुष्काळ पडवानो हतो तेने स्थाने सुकाल थयो।” ___ कविए लखेलु ‘स्मशान' विशेर्नु काव्य तो विशेष नोंधपात्र छे, ते ए दृष्टिए के २४० पंक्ति जेटलुं लांबु काव्य आ विषय पर भाग्ये ज कोईए लख्यु हशे। काव्यनो अंत 'फागु'ने याद करावे ते रीते वैराग्यरसमां आवे छे । तेओ कहे छे -
“प्रगटे वांच्याथी वैराग्य, बाह्याभ्यंतर प्रगटे त्याग; होवे शिवसुंदरीनो राग, शाश्वत सुखनो आवे लाग।
आधि, व्याधि सहु नासे दुःख, अंतरमा प्रगटे शिवसुख; रत्नत्रयीनी प्राप्ति थाय, चारित्री थई शिवपुर जाय। भणे गणे जे नर ने नार, धर्मी थावे ते निर्धार; 'बुद्धिसागर' मंगलमाळ, पामे थावे जयजयकार।"
एक काव्यमां एमणे “भगु, तव जीवननी बलिहारी” कहीने 'जैन' पत्रना अधिपति भगुभाई फतेहचंदने स्नेहांजलि अर्की छे। स्नेहांजलिमां विदेह पामेल व्यक्ति विशे आदर दर्शाववामां आवे छे। पण क्यारेक आवी स्नेहांजलि आदरने बदले अतिशयोक्तिमां सरी जती होय छे। आचार्यश्री बुद्धिसागरसूरिजीए लखेली स्नेहांजलिमां एमणे भगुभाईना निर्भय अने सुधारक व्यक्तित्वने बिरदाव्यु छे, साथे साथे एमना विरोधीओए एमने सपडावीने जेलमां भले मोकल्या, परंतु भविष्यमा एमनी किंमत थशे एम तेओ स्पष्ट कहे छे। बारबार वर्ष सुधी आकरा संजोगोमां जैन'पत्र चलाव्यु अने क्यारेय कोई बदलानी आशा राखी नहि, ए सद्गुणने कवि दर्शावे छे। परंतु एनी साथोसाथ, भगुभाईना दोषो तरफ आंखमिचामणां करता नथी। तेओ कहे छे – 'अनिश्चित मन भमे भमाव्यो, कायव्यवस्था न सारी ।' भगुभाईना जीवननी नक्कर विगतो पर आ स्नेहांजलि आधारित छ । एमां कवि क्यांय अति प्रशंसामां सरी पड्या नथी ते नोंधपात्र बाबत कहेवाय ।
(क्रमशः)
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