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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 30 श्रुतसागर जुलाई-२०१९ पुस्तक समीक्षा डॉ. हेमन्त कुमार पुस्तक नाम - गुरुगुणषट्त्रिंशत्-षट्विंशिका कुलक कर्ता एवं टीकाकार - आ. रत्नशेखरसूरिजी अनुवाद एवं संपादक - मुनि श्री संयमकीर्तिविजयजी प्रकाशक - श्रीसम्यग्ज्ञान प्रचारक समिति, अहमदाबाद प्रकाशन वर्ष - विक्रम २०७५ मूल्य - १५०/भाषा - संस्कृत एवं गुजराती संसार के सभी धर्मों में व्यक्ति के जीवनोत्थान एवं समाज के निर्माण हेतु गुरु की भूमिका को महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया है. जैनधर्म में देव, गुरु और धर्म ये तीन तत्त्व विशेष महत्त्व के हैं। देव धर्म के संस्थापक होते हैं, गुरु धर्म के प्रचारक होते हैं और सर्वज्ञभाषित, दयामय, अहिंसामूलक, जीव एवं अजीव में भेद बताने वाले सिद्धान्त को धर्म कहते हैं। गुरु का स्थान देव और धर्म दोनों के मध्य का है. मध्य में रहने वाला दोनों ओर योग्य दृष्टि रखता है. इन तीनों में गुरु का स्थान सर्वोपरि है क्योंकि देव और धर्म का परिचय करानेवाले गुरु ही तो हैं। गुरु के बिना देव और धर्म का ज्ञान संभव नहीं है। गुरु धर्म से स्वयं जुड़े रहते हैं और दूसरों को भी जोड़ते हैं। गुरु की महिमा अपरम्पार है. गुरु जैन संस्कृति के अमर गायक हैं, महान उन्नायक हैं. सभी धर्मों एवं सम्प्रदायों में गुरु का स्थान सर्वोपरि माना गया है। भारतीय वैदिक वाङ्मय एवं लौकिक वाङ्मय दोनों में ही गुरु की गरिमा एवं महिमा का भरपूर वर्णन मिलता है. वैदिक परम्परा में जहाँ गुरु को ब्रह्मा, विष्णु, महेश और परमब्रह्म की संज्ञा दी गई है, वहीं जैन परम्परा में भी गुरु को वर्तमान के अरिहन्तसम संज्ञा से विभूषित किया गया है। चाहे वह किसी भी धर्म-सम्प्रदाय को मानता हो, किन्तु यह ध्रुव सत्य है कि गुरु के बिना ज्ञान की प्राप्ति असम्भव है। इसलिए गुरु की महिमा, उनके गुणों और उनके उपकारों आदि का वर्णन सभी धर्मों-शास्त्रों में समानरूप से मिलता है। गुरु के गुणों का वर्णन करता हुआ एक अद्भुत एवं अद्वितीय ग्रंथगुरुगुणषट्त्रिंशत्षट्त्रिंशिका कुलक की रचना आचार्य श्री रत्नशेखरसूरिजी म. सा. ने अनुमानतः विक्रम की १५वीं सदी में की है। पूज्यश्री ने इस कृति की गूढ़ता को समझने के लिए इसकी For Private and Personal Use Only
SR No.525348
Book TitleShrutsagar 2019 07 Volume 06 Issue 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2019
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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