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June-2019
SHRUTSAGAR
13 जउ जीवनी जयणा करंतां, कोइ जीव हणाय रे, तेहनइ लागइ पाप थोडउ, घणउ धर्म ज थाय रे
॥६॥ साचइ... केतला प्रकरण अनइ टीका, सूत्रथी विपरीत रे, सिद्धंत मिलता जेह साचा, धरउ तिणि (सुं)प्रीत रे ॥६(७)। साचइ... कारिम स्वारथ तणा वाह्या, एक भवनइ काज रे, जिन(वचन) मिथ्या करइ ते किम, छूटिस्यइ महाराज रे ॥७(८)। साचइ... आगम थकी विपरीत करणी, घणी दीसइं आज रे, आपणी जांघ उघाडगि हिव, आपनइ इज लाज रे ॥८(९)।। साचइ... जे साच कहतां रीस करिस्यइ, ते करउ सउ वार रे, घासिस्यई दांतनि वातथी जउ, तउ किसउ उपचार रे ॥९(१०)। साचइ... इक वक्र जडनइ च्यारि अक्षर, भण्या धइ पग छाडि रे, इक वानरउ नई डस्यउ वींछू', पछइ किणिरइ१२ पाडि३ रे ॥१०(११)
॥साचइ...
जिनवचन साचा केम विघटइ, नहीं पूरउ मांझरे, ए लोक साचउ कहइ म्हारी, मात तउ किम वांझ रे ॥११(१२)। साचइ... तप तपउ किरिया करउ दिन प्रति, घणां खरचउ वित(त्त)५ रे, समकित विना सहि फोक कहियइ, सार इक समकित(त्त) रे॥१२(१३)। साचइ... इक देव तउ६ अरिहंत सेवउ, सुगुरु तउ अणगार रे, वीतरागभाषित धर्म सेवउ, जिम तरउ संसार रे ॥१३(१४)।। साचइ... सूखमनइ बादर जीव हणतउ, मुगति न गयउ कोइ रे, जे जीवहिंसा थकी विरम्या, तेहना फल जोइ रे ॥१४(१५)। साचइ... केई एक तिणि भवि मुगति पहुता, पहुचिस्यइ केई एक रे, मुनिराय मेतारिज तणी परि, राखिज्यो निज टेक रे ॥१५(१६)। साचइ... वावडी कूप तलाव काजइं, हणइ पृथिवी जेह रे, वीतराग दसमई अंग भाखइ, मंदबुद्धी तेहरे
॥१६(१७)। साचइ... ३. छूटशे, ४. हवे, ५. इजत ?, ६. घसे, ७. वायुथी, ८.?, ९. वांदरो, १०. डस्यो, ११. वींछी, १२. बूमो, १३. पाडवी, १४. मध्ये, वचमां?, १५. पैसा, १६. तो,
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