SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 60
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रुतसागर 26 मई - २०१९ जोडणी करी होय एम बनवुं मुश्केल छे । कोइ लेखमां वयर, वयरागी जेवी जोडणी मळवा संभव छे, तेज रीते १५ - १६ मी सदीमां शुद्ध वैर-वैरागी जोडणी पण मळे छे I लेखकोए जोडणी लखवामां एवी अनियमितता चलाव्या करी छे के ते उपरथी तत्समयनो वास्तविक उच्चार पकडीने तेने अनुरूप कोइ नियम शब्दोनां माध्यमिक स्वरूपो माटे स्वीकारी लेवो ए युक्त लागतुं नथी । इ नो य, य नो इ, ऐ नो अइ तथा अइ नो ऐ लखवामां चालेली अनियमिततानां थोडां उदाहरण बस छे। गाईस्यूं तुम्ह पसाइ, कर्मण लागइ पाइ (कर्मणमंत्रीनुं सीताहरण) बीजूं मुझ कह्नि मागयो, कीजि एह पसाय (हरिदासकृत आदि पूर्व-क० ४०, १७ मी सदी) स्तुति करी नीचा नम्या, प्रणम्या जैनि पाय. (गुणमेरूनुं पंचोपाख्यान, १७ मी सदी) येणि वैर कीधूं व्यालशूं, जागि विमाशी वात (हरिदासकृत आदि पर्व, क०१८) शीघ्र थै तयो सभा व्यषि, आंहि पांचालीनि ल्यावुं. भाइ तेहनी कुण प्रभवी सकि (कृष्णदासनुं सभा पर्व, क० २७, १७ मी सदी) गतप्राण थैयनि सभामांहि, बिठाछि सर्व कोइ (सदर) श्री आतश बिहिराम नुसारीमां पधारेआ. (१७१८ नुं एक पुस्तक) चंदा दीपति जीपति सरसति, मइं वीनवी वीनती (धनदेवगणिकृत नेमीफाग-सं. १५०२) अह्यो उभयमांहि अधिक कवण (कृष्णदासकृत सभा पर्व क० ३१) (सदर क० ३०) (क्रमशः)
SR No.525346
Book TitleShrutsagar 2019 05 Volume 05 Issue 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2019
Total Pages68
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy