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________________ 13 SHRUTSAGAR May-2019 जिनेश्वर प्रभुनी आज्ञा प्रमाणे अजाणताय क्रोध न करवानी शीख आपी छ। कर्ता समाजने दुर्गतिना खाडा समान नरकनी खीणमां जवाथी बचावे छे। मान मानथी महत्वनो नाश, नीच गोत्रनो बंध थाय छे । कीडा अने कंदमूल जेवा क्षुद्र भवोनी प्राप्ती थाय छ । ज्यां आपणु कोई नाम निशान नथी रहेतुं, एक अंशना अनंतमा भागे भराई रहेवू पडतुं होय छे, आवी-आवी गतिओमां भ्रमण करता एवा आपणने अहंकार शानो होय! वळी कर्ता कहे छे के आपणी उत्पत्ति गंदी जग्याए थई नव महिना सुधी अशुचिमां रही बहार आव्या त्यां आटलो अहंकार शानो होय! अहंकारथी पतन पामेला जीवोना दृष्टांतोमां मरीचि, रावण, जरासंघ, बाहबलीजी, हरिकेशी मुनि, नंदिषेण मुनि, स्थूलिभद्रजी जेवा दृष्टांतो दर्शाव्यां छे। अंते आ कषाय पर विजय मेळवी विनय गुण द्वारा केवळज्ञान प्राप्त करनार मृगावती साध्वीनू दृष्टांत पण जणाव्युं छे। माया___ माया माटे कर्ताए आपेली उपमाओ जोवा जेवी छे । माया मोहनी जाल छ। धर्मवृक्षने बाळनारी छे । माया कपटनी ओरडी छे । माया कुडी अने दुखनी खाण छे। अपजशनी केडी अने पापनी वेलडी छे । असत्य वचननी मावडी (मा) छे । सुकृतना करेल संचय- हरण करनारी डाकु राणी छे । माया विषधर सर्पिणी छे, जेणीए केटलाय नर-नारीने डंखी लीधा छ । सरळताना ताविज विना तेनो कोई उपाय नथी। दृष्टांतोमां- मल्लिनाथजी, आषाढाभूति, उदायी राजानो हत्यारो अभवी, अभयकुमारने फसावनारी वेश्या, शेठ सदर्शनना शीलभंग माटे मथती कपिला, चुलणी माता, मणिरथ राजा, रावण वगेरे । कर्ताए आ साथे केटलांक लौकिक दृष्टांतो पण टांक्यां छे तेमां मायाथी ध्यान भंग थता शिवजी, उर्वशीथी तप हारेला ब्रह्माजी, अहल्याथी चूकेला इन्द्र वगेरे दृष्टांतोनो उल्लेख करी झलेबीथी पण वधु गुंच वाळी आ मायाने सीधी दोर करीने समझावी दीधी छे । आ ढाळना अंते कह्यु के धन्य ते श्रावक श्राविका रे, धन ते साधु परिवार। कपट रहीत करि धर्म नि रे, सफल तेहनो अवतार रे॥ लोभ कविए लोभने सर्पनो अवतार, क्रोधनो सदा साथी अने स्वजनोना स्नेहनो नाशक
SR No.525346
Book TitleShrutsagar 2019 05 Volume 05 Issue 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2019
Total Pages68
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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