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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir _19 April-2019 SHRUTSAGAR सासनदेव तिहां दीइ, धर्म तणां उपगरणां' रे। यतन करी मुनि जालवइ, सिवसुखना अधिकरणां रे साधु.... ॥१२॥ इंद्र परिक्षा कारणइं, करी ब्राह्मण रूप रे । नमिराय रिषि आगलि रही, पूछइ प्रश्न सरूपरे साधु... ॥१३॥ हेतु कारणि प्रतिबोधीउ, इंद्र नमइं मुनि पाय रे । प्रश्न प्रत्युत्तर जाणयो, उत्तराध्ययन सखाय रे साधु... ॥१४॥ इंद्र प्रसंसा करइ घणी, धन धन तुं रिषिराय रे। त्रिणि प्रदक्षिणा साचवी, हरि पुहुतु निज ठाय रे साधु... ॥१५॥ व्याहार करइ महीमंडलई, प्रतिबोधइ जनवृंद रे। कर्म कठिन सवि क्षय करी, पाम्या परमानंद रे साधु... ॥१६॥ प्रत्येकबुद्ध मुनिवर तणा, गुण गावइ निसि दीस रे। राजरत्न उवझाय भणइ, तस घरि सकल जगीसरे साधु... ॥१७॥ ॥ इति तृतीय प्रत्येकबुद्ध नमिराज रिषि सज्झाय ॥३॥ ॥सीखिनि सीखिनि चेलणा-ए देशी॥ नगगई मुनिवर वंदीइ, जेणइं जीतुं काम। अथिर संसार जांणी करी, साधइ आतम काम नगगई...(आंचली)॥१॥ प्रत्यय देखी जागीउ, चुथउ प्रत्येकबुद्ध । सज्जन सहू को सांभलउ, लवलेस संबंध नगगई... ॥२॥ दक्षिण भरतइ दीपतु, गंधार सुदेस। पांडूवर्द्धनपुर वर भलउ, जिहां कमला निवेस नगगई... ॥३॥ राज करइ सिंहरथ तिहां, राजा परचंड। वयरी आण मनावीआ, परताप अखंड नगगई... ॥४॥ एक दिनि तुरंगई अपहरउ, पुहुतु वनमांहि। वास हेति परवत चढिउ, दीठउं मंदिर त्यांहि नगगई... ॥५॥ तिहां एक अदभुत कन्यका, मनमोहन रूप। पूछइ राजा कुण तुम्हे, कहु सकल सरूप नगगई.. ॥६॥ २९. साक्षी, ३०. विहार, ३१. लक्ष्मी, / 3.पाठांतर-उपकरणा, 4.पाठांतर-तुरंगयइ For Private and Personal Use Only
SR No.525345
Book TitleShrutsagar 2019 04 Volume 05 Issue 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2019
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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