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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR February-2019 अर्बुदाचलगिरिस्तवन ॥O॥ अरबुद सीखर सोहामणो जिहां राजे श्री ऋषभजिणंद जी। त्रैलोक्य दीपक देहरो नीत सेवे सुरनर वृंद जी अरबुद० ॥१॥ पंचतीरथ वडा जैन में सेंत्रुजैयनें गिरनार नारजी। श्रीसमेंतशिखर वली तिम अष्टापद अधिकार जी अरबुद० ॥२॥ पंचतीरथ परगडो अरबुद शिखर उदार जी। विमल वसी लुणावसी सेव्यां सिवसुखनो दातार जी अरबुद० ॥३॥ श्रीविजयधर्मसूरि सरू चिरं तपगछनो गणधार जी। सीरोहीपुर वंदिया गुर गोय(म)नो अवतार जी अरबुद० ॥४॥ हितविजय वाचक गुरु चहुं(?) गीतारथना थाट जी। मेवातल(मेवात लघु?) मरुधरा गुजरात वली मेदपाट जी अरबुद० ॥५॥ मुनीगण संघ समाजी थे परवरीया श्रीगुरुराय जी। गामाणुंगामें विहराता सीरोडीनी पाज जी अरबुद० ॥६॥ अरबुद शिखरनी मेखला तिहां विषमा अति घणा घाट जी। खरभर कर कक्करधरा वली बहुली तरकर वाटजी अरबुद० ॥७॥ वन झंखर कंटक तरु सहं सुगमा सुगुरु प्रशाद जी। हर्ष घणे शिखरे चढ्यो सहुं पंम्या मन उलाद जी अरबुद० ॥८॥ जंबू कदंबक करमदा बहुं चंपक वन सहकार जी। मालती केतकी मोगरा नित भ्रमर करें गूंजार जी अरबुद० ॥९॥ नीझर नदीयां घणा नित खलकें नरमल नीर जी। वनराजी परमल भर्या वाझें शितल सुरभी समीर जी अरबुद० ॥१०॥ संवत अढार पंचडोतरे मधु वदि दशमी भृगुवार जी। संघ सहित जिन भेटीया तिहां वरत्या जय जय कार जी अरबुद० ॥११॥ देलवाडें जिन वंदिया आदिसर विमल वीहार जी। नेमजिणंद जहारीया लुणावशी ही देखई उदार जी अरबुद० ।।१२॥ धन्य दिवस मुझ आनो वली सफल मानव भव आज जी। विघन टल्या मंघल मील्या जांणे पांम्या त्रिभुवनराज जी अरबुद० ॥१२(१३)।। For Private and Personal Use Only
SR No.525343
Book TitleShrutsagar 2019 02 Volume 05 Issue 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2019
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size2 MB
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