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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 17 SHRUTSAGAR December-2018 फोड़ने के उत्तर में दो अंगुलियाँ दर्शाई थी। गंगा के लिए हाथ दिखाने का अर्थ थप्पड़ मारना था, इसलिए उसने मुट्ठी बाँधकर मुक्का से मारने का इशारा किया । बिना बोले, संकेत मात्र से एक प्रखर विद्वान को एक मूर्ख ने जीत लिया। यहाँ बोलने से काम बिगडने वाला था, जीत जो हुई, उसके पीछे ताकत है मौन की। सावद्य वचन से बचने का श्रेष्ठ उपाय मौन गुजराती में कहावत है कि 'न बोल्यामां नव गुण' लोकोक्ति से नहीं बोलने में नौ गुण कहे जाते हैं, लेकिन मौन के गुण इससे अधिक है। पंच महाव्रतधारी महात्माओं से प्रश्न करने पर उत्तर मिलता है जहा सुखं' अर्थात् जैसे सुख हो वैसे करो। 'जाओ' कहने में भी दोष है और मना करने में भी दोष है, अतः वे 'जहा सुखं' का प्रयोग करते हैं। सावद्य वचन से बचने का यह एक शास्त्रीय उपाय है। दूसरा उपाय है मौन। इससे सारे सावद्य वचनों का परिहार हो जाता है। मौन युक्त जीवन होने से ही साधु को 'मुनि' भी कहा जाता है। तीर्थंकरों का मौन तीर्थंकर भगवंतों हेतु कहा गया है कि वे दीक्षा के बाद जब तक केवलज्ञान नहीं होता है तब तक प्रायः मौनधारी रहते हैं। भगवान महावीर स्वामी के द्वारा छद्मस्थ काल के प्रथम चातुर्मास में ग्रहण किये गए पाँच अभिग्रहों में से एक अभिग्रह मौन का था। साढे बारह वर्षों के छद्मस्थ काल में प्रभु प्रायः मौनधारी रहे थे। मौनम् अनुमतं कईं बार कल्याणकारी मौन का सही अर्थ समझने में अज्ञजन असमर्थ होते हैं। गलत अर्थ लेकर अनर्थ कर बैठते हैं। जैसे कि भगवान महावीर के मौन का ग्वाले ने गलत अर्थ लगाया कि मेरे बैल इधर ही थे, इन्होंने जानते हुए भी मुझे नहीं बताया, ऐसा सोचकर उपसर्ग करने लगा। भगवान नेमिनाथजी ने विवाह की बात पर गोपियों के सामने मौन रखा तो उन्होंने 'मौनं अनुमतम्' मानकर विवाह की तैयारी कर ली। साधक के मौन को न समझ पाने में अज्ञानता के सिवाय अन्य कोई कारण नहीं हो सकता है। साधक आत्मा के लिए मौन आध्यात्मिक अचिंत्य शक्तियों को जागृत करने का एक प्रबल साधन है। मौन इहलौकिक व पारलौकिक समग्र अर्थों को सिद्ध करने की ताकत रखता है। इस विषय में सुव्रत सेठ का दृष्टांत प्रसिद्ध है। For Private and Personal Use Only
SR No.525341
Book TitleShrutsagar 2018 12 Volume 05 Issue 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2018
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size2 MB
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