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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR November-2018 कृति के अंत में गाथा १५ से ज्ञानपंचमी की आराधना के बारे में कहा गया है कि- गुरु परंपरा से जिस प्रकार मैंने सुना है, उसके आधार पर विधि बताऊँगा, ऐसा कहकर विधि बताई है कि 'चेत्र अनइ चउमासि, पोसे सहित छ य मासा। वरजी ए तप लीजई, निज भव सफल करीजइ॥' चैत्रमास, चातुर्मास के चार मास तथा पोस मास इन ६ महीनों को छोड़कर शेष महीनों में तप प्रारंभ करना चाहिए । विस्तार से नाण स्थापना करके गुरु निश्रा में तप उच्चरना (प्रारंभ करना) चाहिए। तप में ब्रह्मचर्य पालन पूर्वक उपवास करते हए ५ मास में लघुपंचमीतप पूर्ण होता है. कोई लघुपंचमी हेतु ५ वर्ष व ५ मास भी कहते हैं। उत्कृष्टी यावज्जीव कर सकते हैं । तप की पूर्णाहूति में यथाशक्ति उद्यापन करना चाहिए। पंचमी के दिन उपवास करके उल्लास के साथ पुस्तक की पूजा, ज्ञान का चैत्यवंदन, ज्ञान व ज्ञानी का बहुमान, आशातना का त्याग, गुरुवाणी का श्रवण करते हुए जो तप करता है, वह संसारसागर को पार करके सरलतापूर्वक सिद्धिरमणी को प्राप्त कर लेता है। इस प्रकार कृति के अंत में तपफलश्रुति एवं अंतिम गाथा में प्रतिलेखन पुष्पिका देते हुए कृति को पूर्ण किया गया है। कृतिगत बहुश्रुत, ज्ञानी हेतु दी गई उपमाएँ जो उत्तराध्ययनसूत्र के ११वें बहुश्रुतपूजा अध्ययन में भी पाई जाती हैं, उसका विवरण निम्न प्रकार है ज्ञानी हेतु दी गई उपमाएँ१. शंख - जिस प्रकार शंख में रखे हुए दूध से शंख व दूध दोनों ही एक-दूसरे से सुशोभित होते हैं. उसी प्रकार बहुश्रुत व्यक्ति स्वयं को तथा स्वयं में रहे हुए श्रुतज्ञान को शोभायमान करता है। २. घोड़ा - जिस प्रकार कम्बोज देश के अश्वों में कन्थक घोड़ा श्रेष्ठ होता है, उसी प्रकार ज्ञानवान् व्यक्ति भी श्रेष्ठ होता है। ३. योद्धा - जिस प्रकार जातिमान् घोड़े पर आरूढ दृढ पराक्रमी शूरवीर योद्धा दोनों ओर से जय-विजयादि नन्दिघोषों से अर्थात् जय-जयकार शब्दों से, विजय वाद्यों से सुशोभित होता है, उसी प्रकार ज्ञानी व्यक्ति सुशोभित होता है। ४. हाथी - जिस प्रकार हथिनियों से घिरा हुआ ६० वर्ष का बलवान् हाथी किसी से पराजित नहीं होता है, उसी प्रकार बहुश्रुत भी किसी से पराभूत नहीं होता है। For Private and Personal Use Only
SR No.525340
Book TitleShrutsagar 2018 11 Volume 05 Issue 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2018
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size2 MB
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