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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर अगस्त-२०१८ कथाओ एवा रासाओमां वर्णवेली छे. धर्म अने सुनीतिने केवो गाढ संबंध छे ते जैन कविओना लखायेला रासो परथी स्पष्ट मालम पडी आवे छे.” उपर प्रमाणे रा. ब. कांटावाळाए जैन रासोना संबंधमां ते रासोनी कथा रसभरित अने मनोरंजक होय छे, तेम का छे, तेमां तो ते अमारा अभिप्रायने मळता छे, परंतु कल्पित छे के कंई सत्यता युक्त छे, तेमां तेओश्री शंकाशील जोवाय छे; तो ते संबंधमां मारे जणावq जोईये के, जेम मिमांसक दर्शनना मुख्य शास्त्र वेद ईश्वर प्रणित होइ, तेमां आवेल कथाओ सत्य होइ शके, तेम जैन धर्मना मूळ सूत्रो (आगमो) के जे तिर्थंकर भगवाने प्ररूपेला होईने आ जैन रासो ते आगमोना कथानकोमाथी पद्य रूपे उद्धृत थयेला होवाथी ते सप्रमाण छे. हालमां तेवा रासो सुमारे पोणा चारसो हाथ आव्या छे, छतां बीजा रासो पण भंडारोमां पडेला होइ अने प्रसिद्धिमां न आव्या होय ते बनवाजोग छे; एटले जो आ बधा रासो प्रगट थाय तो अनेक काव्यदोहनो ते संग्रहमांथी बहार आवी शके. __जैन दर्शनमां श्वेताम्बरी अने दिगम्बरी एम बे मुख्य भेदो छे. श्वेताम्बरीमां मूर्तिपूजक अने स्थानकवासी एम बे भेदो छे. जोवाता रास संग्रहमां श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन महात्माओनी कृतिना घणा रासो छे. ज्यारे स्थानकवासी कृत धर्मसींहजी, धर्मदासजी, खोडीदासजी, जेमलजी ऋषी, तिलोकऋषी, जेठमलजी अने हमणां थई गयेला श्री उमेदचंद्रजी ईत्यादि मुनिओएज थोडा रासो लखी गुजराती साहित्यवृद्धिनी दिशामां कंईक प्रयत्न कर्यो छे, तेम मारे कहेवू जोईये. कविता जेवी चीज सारा रागमां गवातां घणा जीवोने प्रिय थयेल छे. गायनथी मनुष्यो तेमज पशुओर्नु पण चित्त ललचाय छे.जेथी कविता तरफ रुचि करावी भकितने नीतिना रस्ते दोरावानुं कार्य आवा मनोरंजक रसभरित रासोवडे जैन महात्माओए करेलुं होय तेम चोक्कस जणाय छे. शास्त्रोना वांचन- बाळ जीवोने कठिन कार्य होवाथी आवा रासो वांचवाथी ते वधारे प्रिय थइ संगीतना रस साथे बोध पामी शके छे. केटलाक रासो वांचतां तेना महापुरूषोए तर्क अने कवित्व शक्तिने एटली बधी सराणे चढावी होय छे के ते वांचतां ते पुरूषोना बुद्धिबळनी परीक्षा स्वाभाविक थइ जाय छे. दरेक रासमां मुख्य पात्रे संसारत्यागी तेमणे स्वर्ग के मोक्ष सुखनी प्राप्ति कर्यानुं जणाय छे के जे दरेक जावोने ते मेळव्या सिवाय छुटको नथी. मोक्षगामी उच्च पात्रनेज कविश्री मूळ ग्रंथोमांथी मुख्य पात्र तरीके रासमां पसंद करे छे, अने For Private and Personal Use Only
SR No.525337
Book TitleShrutsagar 2018 08 Volume 05 Issue 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2018
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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