SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 30
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर अगस्त-२०१७ पाण्डुलिपियों का अध्ययन करने के लिए लिपियों का ज्ञान महत्त्वपूर्ण और आवश्यक होता है। लिपिज्ञान के अभाव में पाण्डुलिपि का वांचन तथा अन्वेषण संभव नहीं हो सकता। प्राच्यविद्या के अनुसन्धानकर्ताओं की इसी आवश्यकता को ध्यान में रखकर डॉ. सिंह ने अपने इस ग्रंथ में ब्राह्मी, शारदा, ग्रंथ और प्राचीन देवनागरी लिपियों का ऐतिहासिक अध्ययन वर्णमालाओं के साथ शिलालेख ताम्रपट्ट आदि अन्यान्य साधनसामग्रियों के रूप में प्रस्तुत किया है। लिपियों के नामकरण का इतिहास और उसकी उपयोगिता को भी ग्रंथकार ने प्रासंगिक रूप से प्रकाशित करने का महनीय उद्यम किया है। पाण्डुलिपियों के अनुसन्धाता को पाठसंशोधन करते समय अनेक प्रकार की भ्रान्तियों का भी साक्षात्कार होता है, जैसे शब्दगत भ्रान्ति, अक्षरों की अस्पष्टता आदि। इन समस्त भ्रान्तियों का अनुसन्धानदृष्टि से समाधान भी ग्रंथ में स्थापित किया गया है। जो प्राच्यविद्या के सुधी अनुसन्धानकर्ताओं के लिए सहायक सिद्ध होगा। संयुक्ताक्षर, हलन्तचिन्ह, अवग्रह, मात्राएँ, रेफयुक्त अक्षर आदि लिखने की पद्धति के साथ-साथ देवनागरी लिपिबद्ध काष्ठपट्टिका भी दी गई है। साथ ही संख्यासूचक शब्दों की लेखन परम्परा का भी विस्तृत परिचय दिया गया है। ग्रंथ की भाषा सहज, सरल व बोधगम्य है तथा अन्त में प्रणयनकर्ता ने पाण्डुलिपि तथा अन्यान्य उपयोगी स्रोतों का भी चित्राङ्कन किया है। ग्रंथ के प्रकाशक आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर, कोबा गुजरात जो कि भारतीय विद्या के सारस्वत-उपासकों को सदैव प्रोत्साहित करने का कार्य करते हैं, इस ग्रंथ का प्रकाशनोद्यम कर अपने सारस्वत प्रोत्साहनकर्ता का परिचय प्रस्तुत किया है, जो अभिनन्दनीय तथा स्तुत्य है। प्रस्तुत ग्रंथ के प्रणेता डॉ. उत्तमसिंह सारस्वत उपासना में सदैव तत्पर रहें, इस प्रकार की वाग्देवी से प्रार्थना । इति शम् ॥ धनी पुरुष ये जगत में करैजु आतमकाज। मिथ्यामतकु छांडिकै पूजत है जिनराज ॥१॥ हस्तप्रत सं. ८७०७३ इस संसार में धनी पुरुष वही है, जो आत्मा के उद्धार के लिए मिथ्यामत को त्याग कर जिनराज का पूजन करता है। For Private and Personal Use Only
SR No.525325
Book TitleShrutsagar 2017 08 Volume 04 Issue 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2017
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy