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श्रुतसागर
अगस्त २०१७
ॐ ह्रीँ श्रीँ परमपरमात्मने अनन्तानन्तज्ञानशक्तये जन्म-जरा-मृत्युनिवारणाय [श्रीमज्जिनेन्द्राय ] जलं' चन्दनं` अक्षतं फलॆ फूल' धूप दीप नैवेद्यं यजामहे स्वाहा ।।
॥ अथ छठी पूजा ॥
॥ दुहा ॥
तिरथंकरपदपुण्यथी, त्रिभुवनजनसेवंत; त्रिभुवनतिलक समा प्रभु, भालतिलक जयवंत
भाले भाग्यकला भली, भाले तेज भनंक';
ते प्रभुजीना भालमां, कीजे तिलक तनंक'
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हां रे अध्यातम रंग-महेलमां हो लाल, हां रे अनुभव गोखे बेठे देव; प्यारे० ते रूप मूरति छे इहां हो लाल, हां रे साहिबनी करस्यां सखरी" सेव
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।। ढाल ।। रमवा जावा दे पना मने रमवा जावा दे, मारी सहियर जोवे वाट पना मने खेलवा जावा दे - ए देशी ॥ पूजने जावादे प्यारे मोकु पूजने जावादे; मेरो साहिब ए सुलतान, प्यारे० (टेक) भणस्युं पूजा रे, छट्ठी भालनी हो लाल, हां रे भलेरा भाग्य भले रे लाल प्यारे० लिखे विधि-लेख छट्ठी रातडी हो लाल, हां रे रातडियो टीको लाख लाल ॥१॥ प्यारे ० मे चांदलो चंदने चरचियो हो लाल, हां रे ओपावो सिद्धसिल्ला सीआडि; प्यारे ० लिखमी वहु रे जिहां लाडकी हो लाल, हां रे कांइ नीला' जास निलाड' ॥२॥ प्यारे० भलो होय ते भलो करे आपणो हो लाल, हां रे करावे लीलावालो लील; प्यारे ० रसियो जांणे रे रसनी वातडी हो लाल, हां रे केसरियो रसियो वीर वकील ||३|| प्यारे० ऊंचा ऊंचा भाल प्रभु आदिनाजी लाल, हां रे कांइ नीची नीची भ्रूह-कबांन'; प्यारे० एलची चंदन चूआ चापडो' जी लाल, हां रे सोभावो भाल भले रेवांन ॥४॥ प्यारे ० तीन रेखा छे जेहना भालमां हो लाल, हां रे करिस्यां केसरलीटी तीन; प्यारे० तीन रोम तन्न एक ठोर ै छे जी लाल, हां रे तीनुंथी तीनुं लोकाधिन इंद्र चंद्र रवि गिरिइंद्रना जी लाल, हां रे लेईने गुण घड्यं जेहनुं अंग; प्यारे० भाग्य लाव्या छे प्रभु किहां थकी हो लाल, हां रे कपालमां अक्षर राते रंग ॥ ६ ॥ प्यारे० भरी पिचकारि पतंगनी हो लाल, हां रे प्रभुने भाले छांटे छेल; प्यारे० ठकुराइ ऋषभनी ठाउकी हो लाल, हां रे रेहवाने शिव किलासी' - महेल ॥७॥ प्यारे०
॥५॥ प्यारे०
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॥२॥
॥८॥ प्यारे ०
1. घणुं(?), 2. ताणीने-सारी रीते, 3. (?), 4. आर्द्र, 5. ललाट, कपाळ, 6. धनुष्य, 7. (?), 8. स्थान, 9. कैलासी-मोक्षरूपी(?), 10. सुंदर.