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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra SHRUTSAGAR www.kobatirth.org 14 गायो एम सुपास, मंगलकमलावास । देयो शिवपुरू ए, मानव-हितकरू ए ॥ ढाल ॥ शांति जिणेसर तुं जयो, भेटवा हुं अति अलजयो, जगजयो सेवक नित हित कीजीइ ए पंचमि जिनघरि जाईइं, संघ सहित सुख पाईंइं, ध्याईइं शांति जिणेसर सुंदरू ए विश्वसेनकुलकलसलो, अचिराउरसरहंसलो, निरमलो जगि जस जेहनु गाजतु ए चउरासी लख गयवरू, तेतला जाणे हयवरू, रहवरू तेतली संख्या जाणीइ ए नरवर सहस वीस सार ए, उपरि सहस वलि बार ए, सारइं ए अह निसि सेवा जेहनी ए चउसठि सहस अंतउरी, बिमणी वार- वधू वरी, सब सिरी लीलां जेणिं भोगवी ए षट खंड पृथिवी साधी ए, चक्रवर्त्ति पदवी लाधी ए, बांधी ए दुरगति सेवकजन तणी ए राजऋद्धि सवि परिहरी, संयम मारग थिर करी, तइं वरी समता-राणी आदरि (री)) ए करम खय(थी) केव(ल)सिरी, पांमी पुहुतो शिवपुरी, सोइ सिरी देयो सेवक वांछीइं ए इम गायो गुण-सागरू, सेवा सारइ नागरू । जिउणवरू सयल संघ सुहंकरू ए ॥ ढाल -महालंतडे नी ॥ छट्ठि जिनभवने वलि ए महालंतडे, भेटीया नेमि जिणंद । मुख दीठइ सुख उपजइ ए महालंतडे, जिम सागर वर चंद For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir January-2017 ॥४३॥ ॥४४॥ ॥४५॥ ॥४६॥ ॥४७॥ 118211 ॥४९॥ ॥५०॥ ॥५१॥ ॥५२॥ ॥५३॥ 114811
SR No.525318
Book TitleShrutsagar 2017 01 Volume 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2017
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size11 MB
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