SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 6
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ગુરુવાણી આચાર્ય શ્રી બુદ્ધિસાગરસૂરિજી पोताना शुद्ध धर्ममां एटला बधा लीन थइ जq जोइए के आत्माना शुद्ध स्वरूप विना अशुद्धता, स्वप्न पण आवे नहि. आत्माना शुद्ध ज्ञान-दर्शन अने चारित्रनो उपयोग धारण करीने आत्मज्ञानी पोतानी पूर्णतानो अनुभव करे छे. आत्मज्ञानी सापेक्ष दृष्टिथी पोतानामां पूर्णता विचारे छे. ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते। पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ॥ आ प्रत्यक्ष अनुभवथी जणातुं एवं आत्मानुं पूर्ण स्वरूप छे. आत्मामां स्वद्रव्यादिकनी अस्तिता अने परद्रव्यादिकनी नास्तितानो परिपूर्ण समावेश थाय छे. तेथी अस्ति अने नास्तिनी अपेक्षाए सर्व अस्तिधर्म अने नास्तिधर्मनो आत्मामां अन्तर्भाव थाय छे. आत्मामां सत्ताए पूर्ण स्वरूपनो तिरोभाव छे. तिरोभावी एवा पूर्ण स्वरूपनो आविर्भाव थाय छे. पूर्ण एवा आत्माना धर्मनो पूर्ण प्रगटभाव थाय छे ते सत्ता अने व्यक्ति अथवा आविर्भाव अने तिरोभावनी अपेक्षाए समजवू. आत्मानी पूर्णतामांथी पूर्णताने बाद करीए तो पण पूर्णता रहे छे. सारांशमां कहेवारों के आत्मानी पूर्णतानो कदी नाश थतो नथी. आत्मानी पूर्णता सदा छतिपर्याय अने सामर्थ्य पर्यायनी अपेक्षाए कायम रहे छे. आत्माना गुणपर्यायोनी पूर्णता खरेखर छतिपर्यायोमांथी सामर्थ्य पर्यायोमां आवे छे. छतिपर्याय करतां सामर्थ्य पर्यायो अनन्तगुण विशेष छे. आत्माना शुद्धोपयोगथी एक सरखा स्थिर धान्यमां रही आत्मानी पूर्णतानो ख्याल करवामां आवे छे तो पश्चात् कोइ जातनी अपूर्णता-असंतोष वासना वगेरे जणातुं नथी एम क्षयोपशमज्ञानध्यान बळे पण निश्चय करी शकाय छे तो केवळज्ञान- तो शु कहेवु ? आत्मानी शुद्ध निश्चयनयदृष्टि प्रगटतां पोतानी शुद्धतानो प्रकाश पोतानी मेळे थाय छे अने पश्चात् पोतानी शुद्धता करवी ए पोताना हाथमा छे अने ते शुद्धोपयोग बळे थाय छे एम परिपूर्ण ख्याल आवे छे. पोतानी शुद्धता थवानी होय तो शुद्ध निश्चयनयनी दृष्टि प्रगटे छे तेनो अनुभवीओ अनुभव करे छे. For Private and Personal Use Only
SR No.525314
Book TitleShrutsagar 2016 09 Volume 03 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2016
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy