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संपादकीय
डॉ. उत्तमसिंह श्रुतसागर का यह नूतन अंक वाचकों के करकमलों में सादर समर्पित करते हए अपार आनन्द की अनुभूति हो रही है। इस अंक में 'गुरुवाणी' शीर्षक के अन्तर्गत आचार्यदेव श्री बुद्धिसागरसूरीश्वरजी म.सा. का लेख प्रकाशित किया जा रहा है, जिसके माध्यम से मोह-मायारूपी प्रपञ्च को त्यागकर शुद्ध निश्चयपूर्वक आत्मोपासना करने व अपने अन्तर में विराजमान परमात्मा की प्रार्थना-स्तुति द्वारा शुद्ध धर्म के आविर्भाव रूप में प्रत्यक्ष करने का मार्ग दर्शाया गया है। द्वितीय लेख राष्ट्रसंत आचार्य भगवंत श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म.सा. के प्रवचनांशों की पुस्तक 'Beyond Doubt' से क्रमबद्ध श्रेणी के तहत संकलित किया गया है। अप्रकाशित कृति प्रकाशन स्तंभ के तहत इस अंक में प.पू. गणिश्री सुयशचंद्रविजयजी म.सा. द्वारा संपादित ‘धनपुरमण्डन अजितनाथ स्तवन' नामक प्राचीन कृति प्रकाशित की जा रही है। प्रायः अद्यपर्यन्त अप्रकाशित यह रचना मारुगुर्जर भाषा में निबद्ध है। अज्ञातकर्तृक यह पद्यबद्ध रचना अत्यन्त सुमधुररसमय व गेय है । पूज्यश्री ने प्राचीन हस्तप्रत के आधार पर इस कृति का सुन्दर संपादन किया है जो वाचकों को अवश्य पसन्द आयेगा।
इसके साथ ही गुजरात वि.वि. की शोधच्छात्रा जोली सांडेसरा का लेख 'नर्मदासुंदरी कथा में अलंकार योजना' प्रकाशित किया जा रहा है। इस लेख के तहत प्राकृत भाषाबद्ध उपर्युक्त ग्रन्थ में प्राप्त अलंकारों व तद्विषयक महत्त्वपूर्ण प्रसंगों का उदाहरण सहित विशद् विवेचन प्रस्तुत किया गया है। साथ ही मुनिश्री न्यायविजयजी द्वारा संग्रहीत व ई.सन्१९४३ में श्री जैनधर्म सत्यप्रकाशक समिति, अहमदाबाद से प्रकाशित ग्रन्थ 'श्री जैन सत्यप्रकाश' से 'केटलांक महत्त्वनां फरमानपत्रो' नामक लेख पुनः प्रकाशित किया जा रहा है। इस लेख में प्रकाशित महत्त्वपूर्ण फरमानों द्वारा तत्कालीन गुजरात के इतिहास व जैनधर्म की समृद्धि का पता चलता है। समाचार सार के रूप में प.पू. राष्ट्रसंत आचार्यभगवंत श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म.सा. के ८२वें जन्मदिवस के उपलक्ष्य में आयोजित गुरुगुण-पर्वोत्सव, कैलासश्रुतसागर ग्रंथसूची व संस्था के अन्य ग्रन्थों का विमोचन, पूज्यश्री के ८१ वर्ष पूर्णता पर पुष्पदंत श्री जैनसंघ द्वारा आयोजित विशिष्ट अनुमोदनीय अनुष्ठान, कोबातीर्थ में पर्युषण महापर्व की भव्य आराधना आदि विषयक विविध समाचारों का संकलन किया गया है।
आशा है इस अंक में संकलित सामग्री द्वारा हमारे वाचक लाभान्वित होंगे व अपने महत्त्वपूर्ण सुझावों से अवगत कराने की कृपा करेंगे।
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