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SHRUTSAGAR
September-2016 नायिका नर्मदासुंदरी का विवाह महेश्वरदत्त के साथ हुआ। महेश्वरदत्त नर्मदासुंदरी को साथ लेकर धन कमाने के लिए भवनद्वीप गया। मार्ग में अपनी पत्नी के चरित पर आशंका हो जाने के कारण उसने उसे सोते हुए वहीं छोड दिया।
नर्मदासुंदरी जब जागी तो अपने को अकेला पाकर विलाप करने लगी। कुछ समय पश्चात् उसे उसका चाचा वीरदास मिला और वह नर्मदासुंदरी को बर्बरकुल ले गया। यहाँ वेश्याओं का एक मोहल्ला था, जिसमें ७०० वेश्याओं की स्वामिनी हरिणी नामक वेश्या रहती थी। सभी वेश्याएँ धनार्जन कर उसे देती थीं और वह अपनी आमदनी का चतुर्थांश राजा को कर के रूप में देती थी। ___ हरिणी को जब पता चला की जंबूद्वीप का वीरदास नामक व्यापारी आया है, तो उसने अपनी दासी को भेजकर वीरदास को आमंत्रित किया। वीरदास ने ८०० द्रम्म दासी के द्वारा भिजवा दिये पर वह स्वयं नहीं गया। हरिणी को यह बात बुरी लगी।
दासियों की दृष्टि नर्मदासुंदरी पर पड़ी और वे युक्ति से उसे भगाकर अपनी स्वामिनी के पास ले गईं। वीरदास ने नर्मदासुंदरी की बहुत तलाश की पर वह उसे न पा सका। इधर हरिणी नर्मदासुंदरी को वेश्या बनने के लिए मजबूर करने लगी। कामुक पुरुषों द्वारा उसका शील भंग कराने की चेष्टा की गयी, पर वह अपने व्रत पर अटल रही।
करिणी नामक एक दूसरी वेश्या को नर्मदासुंदरी पर दया आयी और उसे अपने यहाँ रसोई बनाने के कार्य के लिए नियुक्त कर दिया। हरिणी की मृत्यु के अनन्तर वेश्याओं ने मिलकर नर्मदासुंदरी को प्रधान गणिका के पद पर प्रतिष्ठित कर दिया। बर्बर के राजा को जब नर्मदासुंदरी के अनुपम सौंदर्य का पता चला तो उसने उसे पकड़वाने के लिए अपने दण्ड अधिकारियों को भेजा। ___वह स्नान और वस्त्राभूषण से अलंकृत होकर शिबिका में बैठकर राजा के यहाँ जाने के लिए रवाना हुई। मार्ग में एक बावडी में पानी के लिए उतरी। वह जान-बूझकर एक गड्ढे में गिर पड़ी, उसने अपने शरीर पर कीचड़ लपेट ली और पागलों का अभिनय करने लगी। राजा ने भूत-बाधा समझकर उपचार किया,
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