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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR 29 April-2016 ठराव प्रसारित किए गए. शासन हित में समितियाँ बनाई गईं उसमें श्रावक समिति में प्रत्येक समुदाय के पाँच-पाँच श्रावक लिये गए. शेठ श्री आणंदजी कल्याणजी पेढी के प्रमुख श्रीसंवेगभाई ने संवेदनासभर वक्तव्य दिया था. उनके प्रवचनांश कुछ निम्न प्रकार हैं बहुत ही संघ के सभी अंगो में एक-दूसरे से वात्सल्य, तीर्थरक्षा, व्यवस्था, कायदाकीय समश्याएँ, वहीवटी प्रश्न, साधारण द्रव्य की वृद्धि, संघ की विविध संस्थाओं में एकदूसरे के प्रति पूरक भाव, श्रीसंघ के कमजोर क्षेत्रों को सक्षम व समृद्ध बनाना, पू. श्रमणसंघ के योगक्षेम का प्रश्न, अन्य समाज प्रति आदरभाव, समाज के अन्य वर्गों के साथ समन्वयसाधक व्यवहार हेतु सक्षम श्रावक वर्ग का निर्माण, मजबूत श्रेष्ठ परंपरा, महाजन प्रथा को पुनर्जीवित करने के विचार, पूर्व परंपरा में हुए शासनभक्त राजा व वगदार श्रेष्ठीवर्यों की तरह आज भी ऐसे श्रेष्ठ श्रावकादि खडे करने, प्रश्नों हेतु जाहिर में सरकार के सामने खडे न हो कर कुशलता से निपटाना, नूतन प्रयोग के नाम लांछन के ऊपर ही सीधे प्रतिमाजी बिराजमान करने आदि से भविष्य में प्रभु का वाहन होने का भ्रम पैदा करने वाले कार्यों से दूर रहने की बात, जीर्णोद्धार के समय प्राचीन कला स्थापत्य व परंपरागत धरोहर की सुरक्षा का विचार, स्थापत्य के अवशेष, परमात्मा तथा देव-देवीओं के बिंब, ज्ञान के ग्रंथ, पट, छोड, उपकरण आदि सुशोभन के रूप में करोडों की कीमत में देश-विदेश चले जाने से बचाना, भावी पीढी को वास्तविक तीर्थों के लिए भ्रम पैदा करने वाले प्राचीन तीर्थभूमिओं कल्याणकभूमिओं के नाम नये तीर्थ खडे न करने का विचार, छोटी-बडी संस्था, समूह, मंडल, ग्रुप आदि संघ की मर्यादा व गरिमा को मान देते हुए कार्य करें इत्यादि शासन के महत्त्वपूर्ण स्थानों को स्पर्शने वाले विचार प्रस्तुत किये. अन्त में श्री संवेगभाई ने सम्मेलन के इस समग्र प्रयास की तथा सम्मेलन में लिए गए निर्णयों की भावपूर्ण प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि शेठ श्री आणंदजी कल्याणजी पेढ़ी तथा श्रीसंघ को सदा ही श्रमणसंघ के मार्गदर्शन की अपेक्षा रही है. ऐसे सुन्दर निर्णय से हम सब को एक उज्ज्वल भविष्य की आशा बँध रही है और अत्यन्त प्रसन्नता हो रही है. For Private and Personal Use Only कार्यक्रम को समापन की ओर ले जाते हुए अंत में पेढी के ट्रस्टीवर्य श्री श्रीपालभाई द्वारा हृदयस्पर्शी शब्दों में आभारव्यक्त किया गया. उन्होंने कहा कि हमारे प्रस्तुत प्रसंग में 'प' की खास विशेषता रही है. जैसे कि - प्रसंग का क्षेत्र पालिताणा,
SR No.525309
Book TitleShrutsagar 2016 04 Volume 02 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2016
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size5 MB
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