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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org SHRUTSAGAR 21 April-2016 संवत अढारना चौद(१८१४) में जाणीये, चैत्र सुदि नवमी गुरुवार सुग्यानी, आचारजपद दीये भली भांतिस्युं, मन हरख्या नर-नारि सुग्यानी ॥८॥ श्रीविजयलक्ष्मीसूरी(रि) पद दीयुं, शिणोरग्रामे उदार सुग्यानी, दीक्षा-आयरियपद एके गामे, गुरुमो बहुतर प्यार सुग्यानी ॥९॥ दीक्षामहोछव त्रीजी ढालमें, खरच्यो द्रव्य विशाल सुग्यानी, पुण्ये पुण्य तणी छे संपदा, होज्यो मंगलमाल सुग्यानी ॥१०॥ ॥ दूहा। संघ सघलो भेलो थई, करतो ओछव चंग, सूरिपदओछव भलो, दिन-दिन उलट रंग ॥१॥ नामें ठामें जे कहुं, सुणज्यो तुमे एकचित्त, जिनशासन दीपाववा, द्रव्य खरचे बहु प्रीति ॥२॥ ।। ढंढण ऋषिने वांदणा हुं वारी लाल - ए देशी ॥ धन धन श्रीसंघ चिरंजयो हुं वारी लाल,(आंकणी) मंगलजी नाहना भला हुं वारी लाल, भूला मीठा मनसुद्धि रे हुं वारी लाल । द्रव्य खरचे भली भातस्युं हुं वारी लाल, जेहनी छे बहु बुद्धि रे हुं वारी लाल ॥१॥ लखु वलभ चातुर घणा हुं वारी लाल, जिम आसाढो मेह रे हुं वारी लाल । गुरुभक्तिं द्रव्य खरचता हुं वारी लाल, गुरुउपर बहु स्नेह रे हुं वारी लाल ॥२॥ भूला सूरचंद जाणीये हुं वारी लाल, हेमा देवा मनरंग रे हुं वारी लाल । चतुरमें चाणाक्यता हुं वारी लाल, नही मिथ्यातनो संग रे हुं वारी लाल ॥३॥ 1. गुरुमां Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only धन धन श्रीसंघ..... धन धन श्रीसंघ..... धन धन श्रीसंघ.....
SR No.525309
Book TitleShrutsagar 2016 04 Volume 02 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2016
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size5 MB
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