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राष्ट्रसन्त आचार्यदेव श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म.सा. का
संयम यात्रा के ६१वें वर्ष में प्रवेश
श्रुतोद्धारक परम पूज्य राष्ट्रसन्त आचार्यदेव श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा. के संयम जीवन का ६० वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में सेटेलाइट श्वे. मू. पू. संघ, अहमदाबाद की ओर से कार्तिक कृष्णपक्ष ३ संवत् २०७२ तद्रुसार दिनांक २८ नवम्बर, २०१५ को संयम यात्रा की स्मरण यात्रा के रूप में भव्य समारोह के साथ मनाया गया. इस पावन अवसर पर पूज्य आचार्यश्री के शिष्य-प्रशिष्य, साधु-साध्वीजी भगवन्त एवं देश भर से पधारे हजारो गुरुभक्त उपस्थित हुए.
गुरु वन्दन के साथ स्मरण यात्रा कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया. गुरुभक्ति एवं संयम की अनुमोदना से ओत-प्रोत गीत-संगीत से संपूर्ण वातावरण भक्तिमय बना रहा.
पूज्य आचार्य श्री देवेन्द्रसागरसूरीश्वरजी म. सा. ने पूज्यश्री के गुणों की चर्चा करते हुए कहा कि पूज्यश्री न केवल जैन समाज, बल्कि संपूर्ण मानव समाज के कल्याण हेतु सतत कार्य करते रहते हैं. इनकी मधुर वाणी एवं प्रभावक उपदेश से अनेक भव्यात्माओं का जीवन परिवर्तन हुआ है.
गुरु गुणानुवाद करते हुए पूज्यश्री के शिष्य पूज्य गणिवर्य श्री प्रशांतसागरजी म. सा. ने पूज्य आचार्यश्री के प्रभावशाली कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि जिन शासन की उन्नति हेतु इन्होंने अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया है. जिन शासन की उन्नति में इनके द्वारा किए गए कार्यों का पूर्णरूपेण उल्लेख करना शक्य नहीं है. इनके गुणों को जानने-समझने के लिए इनका सान्निध्य आवश्यक है. ___पद्मश्री डॉ. कुमारपालभाई देसाई ने इस अवसर पर अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि पूज्य आचार्यश्री अपने गुरु के प्रति इतने समर्पित रहे हैं कि इनके द्वारा आज तक जो भी कार्य हुआ है, उसमें इन्होंने अपने गुरु के नाम का ही उल्लेख किया है. इन्होंने कोबा में आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर की स्थापना करके जैनाचार्यों द्वारा प्रदत्त ज्ञान की अविरल धारा को संरक्षितसंवर्द्धित कर श्रुतसेवा का अनूठा कार्य किया है. जैन जगत में भगवान महावीर
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