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July-Aug-2015 शारदा लिपि में नमस्कार महामंत्र लेखन अभ्यास
में अनि मैं भी mमें अयरियास
मैं उवरस्या
मैले मतभा एभे धंभकर,भव भी। मंगल' D भवभि, थम्म सब मंगले॥
शारदा-लिपिबद्ध पाण्डुलिपि जिमीगलमयमा डिलीला अनपरागभनी गनिम ग्जूझपिलापिललकाने मन-मत्रिका काडीउदगिरिजमाना हुवनानिसामयियं लमिटलिभमानमभिः
भयमक कला कल्पल गणीभक्षमभुमरकीभवभीन मनासिर गोगर अमर ० हायनमभनि मलमविनामविम्यानपास डिसेमिराजनियमिक
भलपमळANrs लयली मनायी जमीभीम समाहित उनभर ग यम गर्ग ५ भलामरि भिमक्षतिमा भइय र नीविषमसंग गमावि कहाधियाय मष्ट | १७ पयशाली मूल मक
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