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संपादकीय
हिरेन के. दोशी श्रुतसागरनो संयुक्त अंक तमारी सामे छे.
भजन पद संग्रहमांथी झुलणा छंदमां लखायेली देहस्थ जीवना देहातीत मार्गने प्रकाशित करतुं पूज्यपाद आचार्यदेव श्री बुद्धिसागरसूरीश्वरजी म. सा. द्वारा रचायेलु एक औपदेशिक पद अत्रे प्रकाशित कर्यु छे. ___ अप्रकाशित कृतिना प्रकाशन रूपे प्रस्तुत अंकमां विशालसोमसूरिजीनी परंपराना संघसोम गणि कृत चतुर्विंशति जिननमस्कार नामनी कृति संपादित करी प्रकाशित करी छे. तेमज आ ज अंकमां प्रस्तुत कृतिकारना गुरूभाई वाचक राजरत्न उपाध्यायनी बे कृतिओ पण आ अंकमां प्रकाशित करी छे. वाचकराजरत्न उपाध्यायनी गिरनारीमंडन नेमि जिन स्तवननी प्रत अत्यंत जीर्ण/टूकडा स्वरूप होवाथी शक्य त्यां शब्दोने उमेरवानो प्रयास कर्यो छे. ___पुनः प्रकाशित थती लेख-श्रेणिमां आदरणीय श्री जयंतभाई कोठारी द्वारा लिखित स्थूलिभद्र विषयक त्रण फागुकाव्यो' नामनो लेख वि. सं. 2024मां प्रकाशित थयेल श्रीमहावीर जैन विद्यालय सुवर्णमहोत्सव ग्रंथमांथी साभार प्रकाशित करेल छे. काव्यतत्त्वनी ऊंडी उपासना अने साहित्य क्षेत्रना दीर्घ अनुभवनी अभिव्यक्तिओ लेखमां जोवा मळी आवे छे.
थोय प्रकारनी एक लघु अप्रकाशित कृति कंसारीमंडन पार्श्वजिन स्तुति(थोय) आ अंकमां प्रकाशित करी छे. तो साथे साथे सरस्वतीदेवीना महिमाने वर्णवतुं शारदा स्तोत्र सार्थ प्रकाशित कर्यु छे. आ कृति अप्रकाशित होवानो संभव छे. कृतिना संपादननी साथे श्लोकना तात्पर्यने समजवा माटे सरळ अर्थ पण आपेल छे.
पुरातन कृतिनुं संपादन करती वेळाए हस्तप्रतोमा मळता विविध प्रकारना चिह्नो, अक्षर भ्रम जेवी जाणवा योग्य विगतो उपर पर्याप्त माहिती आ लेखना माध्यमे प्राप्त थाय छे.
दर अंके प्रकाशित थती पुस्तक समीक्षामां आ वखते श्रुतभवन संशोधन केन्द्र पूना द्वारा प्रकाशित नव ग्रंथरत्नोनो परिचय प्रकाशित कर्यो छे. श्रुतोपासनानी आवी उत्तम प्रवृत्ति धोमधखता रणमां मीठा पाणीनी वीरडी जेवी गणी शकाय...
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