________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
45
SHRUTSAGAR
MAY-JUNE-2015 होय तेम लागे छे, जेम जेम केतकी मघमघतो परिमल प्रसरावे छे तेम तेम कामी पुरुष पोतानी प्रियतमाने पगे पडीने मनावे छे जेम जेम शीतल कोमल सुरभियुक्त वायु वाय छे तेम तेम गर्वमंडिता मानिनी नाची ऊठे छे, जेम जेम जलभर्या वादळ आकाशमां एकठा मळे छे तेम तेम कामीजनना नयनमा नीर झळहळी ऊठे छे'
केवु संक्षिप्त छता सर्वग्राही निराभरण अने सहजसुंदर आ प्रकृतिचित्र छे अने कविए मानवहृदय साथे एनो केवो काव्यमय संबंध प्रस्थापित करी आप्यो छे!
कोशाना अंगसौंदर्यना अने वस्त्राभूषणोना वर्णनमां कविए आवी ज यथार्थ शैलीमा आरंभ कर्यो छे. कोशाना हृदयहारना लडसडाटनो, पायलना रणकारनो, कुंडलना झगमगाटनो अने आभूषणोना झलहळाटनो कवि एक कडीमा रवानुकारी शब्दप्रयोगथी आपणा आंख-कानने अनुभव करावी दे छे, पण पछी तेओ हळवेथी अलकारमंडित वाणीमां सरी जाय छे.
कविए योजेला अलंकारोमा अनुरूपता छे पण अवनवीनता नथी. केटलांक अलंकारो सामान्य पण लागे छतां कविनुं सतत ध्यान कोशाने मदनरसनी मूर्ति तरीके निरूपवा तरफ रघु छे ए एक नोंधपात्र हकीकत छे.
कोशाना वर्णनमा अवार-नवार फरकी जती उपमा-उत्प्रेक्षाओ जुओ : एनो वेणीदंड ते जाणे मदनखड्ग, एना पयोधर ते जाणे कुसुमबाणे मूकेला अमृतकुंभ, १. महुरगभीरसरेण मेह जिमजिम गाजते, पंचबाण निय कुसुमबाण तिगतिग साजते, जिमजिम केतकी महमहत परिमय विहसावई, तिमतिम कामि य चरण लग्गि नियरमणि मनावई. ७ २. सीयलकोमलसुरहि वाय जिम जिम वायते, माहामडपुर माणणि य तिम तिम नाचते, जिम जिम जलभरभरिय मेह गयणगणि मिलिया, तिम तिम कामी तणा नयण नीरिहि झलहलिया. ८
For Private and Personal Use Only