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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR 41 MAY-JUNE-2015 एना उंडानो ताग पण लई शकी छे. परिणामे आ काव्यनी आकृति आगळना बन्ने काव्य करता बदलाई गई छे. कांठे वनराजिनो वैभव अने मांहे रूपाळा राजहंसो अने मनोहर कमळोएवा सुंदर सरोवरना जेवी रचना आगळनां बन्ने काव्योनी हती आ काव्यनी रचना पाताळकूवा जेवी छे - एकलक्षी छे. पण एनो अर्थ एमां एकविधता छे एवो नथी. पाताळकूवामांये अनेक सरवाणीओ फूटती होय छे. कवि कोशाना हृदयनी अनेक भाव-सरवाणीओनुं आपणने दर्शन करावे छे. बधी सरवाणीओ जेम पाताळकूवाना पाणीभंडारने पोषे छे तेम आ बधा संचारीभावो पण कोशाना स्थायी विरहभावने समृद्ध करे छे. आखं काव्य कोशाना उद्गाररूपे लखायेलुं छे तेथी एमां कशुये 'बहार' पण रहेतुं नथी ऋतुचित्रो आवे छे, पण कोशाना विप्रलंभशृगारनी साथे वणाई गयेला छे. कोशाना देहसौन्दर्यना के शृंगारप्रसाधनना 'बाह्य' वर्णनोने तो अहीं अवकाश ज क्या रह्यो? काव्य केवळ आत्मसंवेदनात्मक होई, कथन, वर्णन अने भावनिरूपणनुं संतुलन जाळववानी चिंता पण कविने रही नथी पण एथी आ कविने कई रचनाशक्ति बताववानी नथी एवं नथी. भावने घूंटी घूंटीने कवि उग्र बनावे छे अने बधा भावोने विरहशृंगारने समुपकारक रीते संयोजी सरस परिपाक तैयार करे छे. (५) कवित्व कविना संप्रज्ञात प्रयोजनथी स्वतंत्र वस्तु छे. कविता सर्जन सिवायनो हेतु होय त्यां कविता न ज सर्जाय, के कविता सर्जननो हेतु होय तेथी कविता सर्जाय ज एवं कई नथी. खरी वस्तु तो अंदर पडेली सर्जकता छे. मध्यकाळमां कयो कवि काव्य सर्जवाना प्रयोजनथी प्रवृत्त थयो हतो? छता ए अंदर पडेली सर्जकताए ज एमनी रचनाओमा कविता आणी छे. आ त्रणे जैन मुनिओए स्थूलिभद्रना वृत्तांतने धार्मिक हेतुथी ज हाथमां लीधु हशे एमां बहु शंका करवा जेवुं नथी, छता एथी एमनी कृतिओमां कवितानी शोध करवी वृथा छे एवा भ्रममां पडवानी पण जरूर नथी. वृत्तांतनी पसंदगी अने एना संयोजनमां आ कविओ जे कई सर्जकता बतावे आपणे जोयु, एटले हवे काव्यमां अभिव्यक्तिनी कला ए केवीक बतावे छे ते जोईए. ए मध्यकाळना कविओ वस्तुपसंदगीमां, प्रसंगवर्णनमां, अलंकारोमां अने भावनिरूपणनी लढणमां परंपरानो घणो लाभ उठावे छे-एटलो बधो के केटलीकवार For Private and Personal Use Only
SR No.525300
Book TitleShrutsagar 2015 05 06 Volume 01 12 13
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2015
Total Pages84
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size6 MB
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