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SHRUTSAGAR
MAY-JUNE-2015 कृष्ण कर नेमिजीई वालीउ, ......मल जिम मृणाल रे। नेमि कर कृष्णि नवि वालीउ, हींचीउ हरि जिम डाली रे ॥१५॥
नेमिकुमर रमइ रंगसिउं.. ........बलवंत जांणी प्रभु, चिंतातुर हउ चक्रपाणि रे। राम कहइरे रमणी विना, बल तणि नवि हूइ हाणि रे ॥१६॥
नेमिकुमर रमइ रंगसिउं... एहनइं नारि कोइ नवि गमइ, कहइ घणुं शिवादेवी माय रे। जिम तिम] [कारी परणावीइ, रचीइ को ए एह उपाय रे ।।१७।।
___ नेमिकुमर रमइ रंगसिउं... केसव वचनि गोपी कहइ, आवउ करी[इ] जलकेलिरे । नेमिजी साथईरे संचरी, राधा रुखमणी सहू मेलि रे॥१८॥
नेमिकुमर रमइ रंगसिउं... ॥ ढाल - झूमखडानी॥ चुपखेर गोपी मली, वचिमांहई नेमिकुमार । यादवराय मनि धरउ, खडोखलीमांहि झीलतां छांटइ सींगी भरी वारि ।।१९।। यादरराय मनि धरउ, मांनउ एक वीवाह, नीरागता परिहरउ लीउ धन यौवन लाह, यादवराय मनि धरउ ।। आंचली ॥ चउसहिस स्त्री परणीआ, शांति कुंथु अरनाथ । यादवराय मन धरउ आदि जिणंदि वीहवा करउ, बत्रीस सहिस हरि साथ ॥२०॥ एक नारि परणी तुह्मो, कां न करउ घर भार । यादवराय मनि धरउ इम कही जिनवर फेरीया, चंचल गोपीनारि(र) ॥२१|| यादवराय मनि धरउ मूंन करी यदुपति रया, जांणी सोइ प्रस्ताव । यादवराय मनि धरउ मांनिउं मांनिउं गोपी कहइ, श्रीपत्ति जांणिउ भाव ॥२२॥ यादवराय मनि धरउ कन्या जोवा काहानजी, उग्रसेन नप घरि जाय । यादवराय मनि धरउ राजलि सिउं वीवाह मेलिउ, हरषियां शिवादेवी माय ॥२३।। यादवराय मनि धरउ
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